वो ही हिस्सा मेरा


बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित



अपना दर्दे छुपाऊँ कैसे

बोलो तुम मैं मुस्कुराओं कैसे


हर अपना अपने में गुम है

इन मे अपनों को ढूंढू कैसे


मुश्किलों से मैं हरदम भागा

दुनिया का मैं अकेला अभागा


जलते दिप बुझ गये हैं सारे

कल तक जहां बसेरा था मेरा


शेष नहीं वहां बचा है कोई

राख का ढेर वो ही हिस्सा मेरा


अपना दर्दे छुपाऊँ कैसे


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