कौन
बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
अपनी धुन में रहते हैं सब
अपनी धुन में रहते हैं सब
आकर मुझ संग कौन मिलेगा
आकर मुझ संग कौन मिलेगा
मेरी तो बस एक अभिलाषा है
मेरी तो बस एक अभिलाषा है
फूलों से काँटों को कौन चुनेगा
फूलों से काँटों को कौन चुनेगा
दूरियां अपनों में बढ़ती जा रही
दूरियां अपनों में बढ़ती जा रही
आकर इनको कौन सिमटेगा
आकर इनको कौन सिमटेगा
सोचने लगा हूँ खुद से अब माँ
सोचने लगा हूँ खुद से अब माँ
तेरे सा सुलझा मुझे कौन मिलेगा
तेरे सा सुलझा मुझे कौन मिलेगा
आती है याद उस बड़े पीपल वृक्ष की
आती है याद उस बड़े पीपल वृक्ष की
संग मेरे उसकी छाँव तले कौन चलेगा
संग मेरे उसकी छाँव तले कौन चलेगा
अपने से बाहर सब देखने लगे हैं
अपने से बाहर सब देखने लगे हैं
अपने भीतर को अब कौन टटोलेगा
अपने भीतर को अब कौन टटोलेगा
नारंगी रंगवाली वो तितली मेरी है
नारंगी रंगवाली वो तितली मेरी है
आज मेरे संग बचपन से कौन मिलेगा
आज मेरे संग बचपन से कौन मिलेगा
एक ही गांव में रहते थे सब मिलकर
एक ही गांव में रहते थे सब मिलकर
सोचा ना शहरों आ जुदा हमे कौन करेगा
सोचा ना शहरों आ जुदा हमे कौन करेगा
अनदेखा सा सब मुझे करने लगे हैं
अनदेखा सा सब मुझे करने लगे हैं
मेरी लिखी ये कविता अब कौन पढ़ेगा
मेरी लिखी ये कविता अब कौन पढ़ेगा
उभरते अहसासों का बस बंधक हूँ मैं
उभरते अहसासों का बस बंधक हूँ मैं
पढ़े ना पढ़े कोई मै तो लिखता रहूंगा
पढ़े ना पढ़े कोई मै तो लिखता रहूंगा
अपनी धुन में रहते हैं सब
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