गौं गौं की लोककला
डबरालस्यूं संदर्भ में गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला - 1
आभार
नरेश उनियाल
द्वारा सम्पूर्ण सूचना
जल्ठ (डबरालस्यूं ) की लोक कलायें व लोक कलाकार
डबरालस्यूं संदर्भ में गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला - 1
जल्ठ (डबरालस्यूं ) की लोक कलायें व लोक कलाकार
डबरालस्यूं संदर्भ में गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला - 1
(चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )
मुख्य संकलन - नरेश उनियाल
सहयोगी - भीष्म कुकरेती
जल्ठ गांव ढांगू , उदयपुर , अजमेर , क्षेत्र में विद्वान् कर्मकांडी , ज्योतिष शास्त्रियों , व्यास वृति के व्यासों व अध्यापको हेतु प्रसिद्ध था। सिलोगी स्कूल स्थापना में जल्ठ के बिष्ट व डबराल अध्यपकों का हाथ रहा था।
बाबुलकर ने लोक कलाओं का निम्न विभाजन किया है-
अन्य गढ़वाल क्षेत्र की भाँति (बाबुलकर द्वारा विभाजित ) जल्ठ में भी निम्न कलाएं व शिल्प बीसवीं सदी अंत तक विद्यमान थे. अब अंतर् आता दिख रहा है।
अ - संस्कृति संस्कारों से संबंधित कलाभ्यक्तियाँ
ब - शरीर अंकन व अलंकरण कलाएं व शिल्प
द - जीवकोपार्जन की पेशेवर की व्यवसायिक कलाएं या शिल्प व जीवनोपयोगी शिल्प व कलायें
भीष्म कुकरेती ने एक भाग और जोड़ा है -
स -फुटकर। कला /शिल्प जैसे पाक कला , कूटनीति अंताक्षरी , बनाना , अध्यापकी , खेल कलाएं , आखेट, गूढ़ भाषा वाचन (अनका ये , कनका क, मनका म ललका ला =कमला , जैसे ) या अय्यारी भाषा आदि
जल्ठ गाँव में उपरोक्त सभी कलाएं मिलते हैं व शिल्प व कला अनुसार निम्न कलाकार प्रसिद्ध हुए हैं या वर्तमान में हैं जिनका सभी ब्यौरा नरेश उनियाल ने दिया है -
हारमोनियम बादक - जनार्दन उनियाल , मदन उनियाल ,
ढोलक वादन -नरेश उनियाल
मांगल गीत - दीपा देवी
जागरी - सुमन लाल
सिणै /शहनाई वादन - लखनलाल
झारखंडी (भूत भगाने वाले ) - लखनलाल , ज्युणी देवी
बक्की /गणत - लखनलाल ,
कच्ची मदिरा निथारक - श्रीधर प्रसाद , डवोली
ओड /भवन निर्माण - -लखनलाल , सुमन लाल
काष्ठ कलाकार - सतीश आर्य
लोहार -लखनलाल
रेशे बटने वाले कलाकार - शारदा
बुगठ्या काटने वाले - जीत सिंह बिष्ट
टाट पल्ल - जनार्दन प्रसाद उनियाल , आदित्यराम उनियाल , प्रेम सिंह बिष्ट , जीत सिंह बिष्ट
प्रसव पीड़ा हर्ता /दायी -दीपा देवी
अरसा पाक कला विशेषज्ञ - जनार्दन , बसंती देवी दबररल , बसंती देवी ममगाईं , प्रेम सिंह , दीपा देवी
रामलीला कलाकार - आदित्यराम , महेश चंद्र, नरेश चन्द्र, राकेश , मदन , जनार्दन , सभी उनियाल ; बिष्टों में - बीरेंद्र , प्रमोद सिंह , मोहन सिंह; डबरालों में - स्वयंबर दत्त , भगवती ; ममगाईं - सुमन , धीरज
विदूषक - धीरज ममगाईं , प्रकाश डबराल , देवी प्रसाद उनियाल
प्रसिद्ध कर्मकांडी पंडित - नारायण दत्त उनियाल व हरिदत्त उनियाल
साहित्यकार - हेमा उनियाल , नरेश उनियाल
नरेश उनियाल ने बीस से अधिक अध्यापकों व अध्यापिकाओँ का ब्यौरा दिया है यह इस बात का द्योतक है कि जब ब्रिटिश काल में स्कूल स्थापित हुए तो जल्ठ के कर्मकांडी ब्राह्मणों ने अध्यापकी शुरु की होगी
चार तिबारी मुख्य मानी जाती रही हैं
आभार नरेश उनियाल द्वारा सम्पूर्ण सूचना