म्यारा डांडा-कांठा की कविता

अश्विनी गौड 'लक्की'दानकोट, रूद्रप्रयाग बटि…


नमन तौं रणबांकुरों तै

नमन तौं रणबांकुरों तै

नमन तौं अमर शहीदों तै

रळै-मिळिगिन माटी मा

जय हिन्द वीर जवानों तै


संदै खेलै अ तपै छो तु

नमन तै माँ की ख्वोकळि तै

नमन तै माटी थाति तै

नमन तैं पिताजी कि जिकुडि तै


देश धरम का बाना

जौंन

मायादारै माया

बिसरै।,

सजिला माया सुपिना चुळै

वंदेमातरम् माळा गंठै


नमन हाथौं तै, जौंन

पीठी पिठ्वा, अर -बंदूकी तांणिन

दूर दूर बै, खोजि खोजी

लूक्या आतंकी मारिन


नमन तौं, हाथ्यूं की चूडयूं तै

जु बाजिन यन सुहाग तै

नमन तै माथै कि बिंदुलि

जु चमकि यन भग्यान तै


नमन तौं बैण्यूं का भैयूं तै

जु रक्षा की ढाल बणी गैनी

नमन तै राखुडी का धागा

जु देश का हित मा खुली गैन


नमन तौं अमर सपूतों तै

जौंका बल सुंनिद सैंया हम रैन

अंत समै जु लडदा-लडदा

देश का खातिर मरि मिटि गैन


नमन तौंकि जिकुड्यू तै,

जु अंत समै तक चलदि रैन,

भारत माँ का जैकारा तक,

धडक धडक जु कर्दि रैन


यौक तनै, खून रे बगणू

लाल बणी छै, माटी रे,

देशधरम का खातिर

जौंकी

फूली रैगिन, छाती रे


देश थाति, माटी का खातिर,

रळै मिलिगिन माटी मा,

तौं वीर भडू कु ळवे भट्याणू,

निसाफ मांगणू घाटी मा


मंदिर-मस्जिद, जाति-धर्म जन,

बिज्वाड कांडो कि, ना बणां!

देशधरम की राजनीतिक मा,

बगदा ल्वै की फसल पण्यां।


आतंकवादी देश बण्यूं जु,

यैकि स्यैक्कि पट्ट, झांडि द्या,

ज्वान जवान अर वीर शहीदों का,

बगदा ळ्वे कु हिसाब मांगी द्या।


बंदुकी-मिसैल, यंत्र-मशीन,

लकदक हिंदुस्तान सजै द्या,

थरथर कांपि जौ,

बैरी मुलक

यैकि जरा औकात बथै द्या।


प्यार की भाषा नी बींगणू,

अब चेतौण छोड़ी द्या,

आतंकवादी भेष मा घूमणू,

एटम बम द्वी-चार फोडी द्या ।


देश थाति की माटी का खातिर,

रळै मिलिगिन जु माटी मा,

तौं वीर भडू कु ळवे भट्याणू,

निसाफ मांगणू घाटी मा।