यमराज अर चित्रगुप्त संवाद'

(हास्य - व्यंग्य)

😎यमराज- अरे चित्रगुप्त इन बतौ अचगाळ सोशियल मीडिया मा गढ़वळि भाषा का इतगा जणगुरु कख बटै ह्वेगिन ?

🤓चिगु- माराज ! आज अचणचक इन किलै पूछणा छौं ?

😎यम- अरे वो परसि फुंड़ वो 'पुष्पा छोरी पौड़ी खाला' फेम कलाकार (आ.जे.एस.नेगी जी), कुमौ ग.का एक बेजोड़ गायक/कवि (आ.हिरदा जी) 'तू होली बीरा' जन कालजयी गीत, 'जौंळ मंगरी' जना पोथि का लेख्वार (आ.जे.एस.नेगी जी) अर 'कौथिग' पोथि का गढ़वल़ि कवि (आ.एम.प्र.बड़ोला जी) युं सब्युंक बारा मा मी एफबी मा युंका प्रशंसकों क पोस्ट अर कमेंट पढ़नु छाई त तब म्यारु ध्यान गै ।

🤓चि.गुप्त- कन माराज..! पोस्ट, कमेंट से इन क्य समझ आपल ? जो कुछ आपल चितै वो बोलि द्यावा ?

😎यम- मेरी समझम या नि आणी चा कि यो गढ़वल़ि का रोज रोज नै नै कवि सा'हत्याकार कख बटि जल्मणा छन ?

🤓चिगु.- क्य ह्वे माराज ! आज फजल ल्हेकि झांज त नि लगि च ?

😎यम.- पैलि इन बतौ कि अचगाळ लौकडौन बटि कतगै आर्टिफिशियल टैपा इतगा ड़िजैनदार कवि कख बटि धड़ाधड़ तैयार हूणा छन ?

🤓चिगु.- माराज ! वास्तव मा कवियों क ममला मा इन हूणू अचगाळ जन ब्वल्येंद क्वी ढुंगु हटावा अर वे मूड़ि किरम्वलों पुच्याड़क जगा कवियों क कटगल हो ।

😎यम.- अरे तभी त पूछणु छौं यो कनकै हूणू भै..??

🤓चिगु- माराज ! अचगाळ गढ़वळि भाषा का कुछ नै सोशियल लॉन्च पैड़ दफ्तर(यूट्यूब चैनल)भि खुल्यां छन, मी लगणु यो सब वखि बटि अवतरित हूणा छन ?

😎यम- क्या वखि बटि या बन बनि सा'हिता रसना बरखा हूणि रैंद ?

🤓चिगु- माराज ! बुनै युंकै पैथर कतगै लोग नै नै लॉन्चिंग गुरु भि बणिगीं .....।

😎यम- हैंइइई सचैई....?

🤓चिगु- हाँ माराज ! मी सच ब्वनु छौं अर कतगै त ..बिना रस, छंद, अलंकार, मुक्तकक निरसु भि ल्यखणा छन पर धौंण वूँकि इन टकटकी कयीं रैंद अपड़ा ल्यख्यां फरि जन ब्वल्येंद साहित्य कु ज्ञान पीठ पुरस्कार युंतै ही मिल्युं होलु.. 😀🤣.

😎यम- अरे कतगै संस्था अर चैनल त कोरोना काल से भि पैलि बटि काम कना छन ।

पर कुछ ये कोरोना काल मा इन इन सा'हत्याकारों तैं तैनात कैरिगीं कि क्य ब्वन क्य ब्वन तब..??

🤓चिगु- माराज ! लेकिन यां से नै नै कवियों/सा'हत्याकारों तैं नौ त मिलणु छैंच समाज मा ।

😎यम- पर असली अर शुद्ध साहित्य कु खेचळा भि त खूभ ही हूणूं भै ।

🤓 चिगु- माराज ! यांमा वूंकू क्वी दोष नि च ।

😎यम - अब बतौ फिर कैकु दोष चा ?

🤓चिगु- माराज ! जतगा सल्लि/जणगुरु लेख्वार छन जब वो न त कुछ अफ ल्याखला न कैकु ल्यख्यां फरि ढ़ै ढुंगु धारला त तब फूका खेचळा मेचळा जी हूंद, होर्युं ल त अपड़ तर्फां हाळ त त्वड़णि च ना ?

😎यम- ल्यखण क्वी बुरी बात नि च, भलि बात च पर यो

नै लेख्वार पाठकों तैं साहित्य जनै ल्याणा कम छन अर पुरणा पाठकों तैं भि भजलणा काम जादा कना छन ।

🤓चिगु- त माराज ! जब युंतै नि मतलब त हमल जी क्य ब्वन ?

😎यम- कुछ ना बस.......'हरि बोल'....🤣😀.।।

✍🏻 ल्यख्वार-

©®✍🏻 वीरेंद्र जुयाल उपिरि

फरसाड़ी पलतीर क्लब

दिनांक- 29-06-020.