© नरेश उनियाल,

ग्राम -जल्ठा, (डबरालस्यूं ), पौड़ी गढ़वाल,उत्तराखंड !!

🌱 "डाळि लगावा"🌱


'आवा दीदी भुल्यूँ आवा डाळि लगावा,

अपणिं धरती नाश होण से बचै ल्यावा।

आवा भैजी भुलौं आवा, डाळि लगावा,

हरेक संस्कार तैं समळौंण बणांवा।


कंक्रीट का बौंण फैल्याँ जगा जगा मा,

'ग्लोबल वार्मिंग' आग लगीं दुन्याँ मा।

डाळि बूटि लगैकी यीं आग बुझावा,

अपणिं धरती नांगि होंण से बचै ल्यावा।


भोsळ हम नि रौला पण,इ डाळि त राली,

हमरि औंण वळि पीढि, ठंडि हवा खाली,

आवा दिदौं,दाना,संयणां डाळि लगावा,

अपणिं नै पीढी का बान्यु कुछ करि ल्यावा।


औलाद त भोळ तुमतैं, छट्ट छोड़ि जाली,

डाळि बूटि ही तुमरि गौळि भिट्याली।

आवा 'नरेश' का दगड़ि डाळि लगावा,

अपुणूं ये जलम तैं सफल,तुम करि ल्यावा।