गढ़वाल में गंगाड़ी ब्राह्मण
सरोला व गंगाड़ी ब्राह्मणों में दाल-भात तथा शादी-ब्याह के अलावा कोई भेद नहीं है। गंगाड़ का सामान्य अर्थ गंगा (शाखाएँ भी) के किनारे वाले क्षेत्र से है। गंगाड़ में रहने वाले लोग गंगाड़ी तथा वहां के ब्राह्मण गंगाड़ी ब्राह्मण कहलाते हैं। सरोला लोग गंगाड़ी ब्राह्मणों द्वारा बनाया गया भात-दाल नहीं खाते हैं तथा इसी वजह से इनके बीच शादी-ब्याह नहीं होते हैं। सरोला प्रथा का उल्लंघन करने तथा सरोला प्रथा निर्धारण के पश्चात बाहर से आये ब्राह्मणों को गंगाड़ी ब्राह्मण कहा गया था।
माना जाता है कि चाँदपुर नरेश अभयपाल ने 14वीं सदी के आसपास सरोला प्रथा को मान्यता दी थी। उस समय रोटी भी सरोला ब्राह्मणों द्वारा पकाई जाती थी, बाद में रोटी को शुचि माना गया। संभवतः ब्राह्मणों को सैन्य बल में योगदान के लिए ही ब्राह्मणों को रस्वाल (रसोइया) जो बाद में अपभ्रंश होकर सरोला बना, बनाया गया था। राजा महीपतिशाह (1629-46) ने तिब्बत पर चढ़ाई की थी तथा वहां ठंडे में धोती पहनकर सरोला ब्राह्मणों को भोजन पकाना पड़ा था, जिसमें कठिनाई हुई। बाद में अन्य जातियों को भी सरोला की मान्यता दी गई। कई गंगाड़ी ब्राह्मण भी सरोला बनाये गए।
हरिकृष्ण रतूड़ी जी द्वारा गंगाड़ी ब्राह्मणों की जाति, पूर्व जाति, प्रथम गाँव, आने का संवत् तथा कहां से आये इस प्रकार दी गई है:-
अणथ्वाल- (सारस्वत, अणेथ, 1612, पंजाब)
उन्याल- (मैथिल, वोणी, 981, मिला)
कलसी- (भट्ट, -,1300, गुजरात)
कवि- (कान्यकुब्ज, -, 1736, कन्नौज)
काला- (गौड़, -, 912, कुमाऊँ)
किमौटी-2 (गौड़, किमोठा, 1617, बंगाल)
कुकरेती- (द्रविड़, कुकुरकाटा, 1409, विलहित)
कुड़ियाल- (गौड़, कूड़ी, 1600, बंगाल)
कैंथोला- (भट्ट, कैंथोला, 1669, गुजरात)
कोटनाला- (गौड़, कोटी, 1725,बंगाल)
कोठारी- (शुक्ल, कोठार, 1791, बंगाल)
कौंस्वाल- (गौड़, कंस्याली, 1722)
घणसाला- (गौड़, घणसाली, 1600, गुजरात)
घिल्डियाल- (आदि गौड़, घिल्डी, 1100, गौड़ देश)
चंदोला- (सारस्वत, -, 1633, चंदोसी)
जुगडाण- (पाण्डे, जुगड़ी, 1700, कुमाऊँ)
जुयाल- (महाराष्ट्र, जूया, 1700, विरहित)
जोशी- (द्रविड़, -, 1700, कुमाऊँ)
डंगवाल- (द्रविड़, डांग, 982, कर्नाटक)
डबराल- (महाराष्ट्र, डाबर, 1433, दक्षिण)
डोभाल- (कान्यकुब्ज, डोभी, 945, कनौजिया)
ढौंडियाल- (गौड़, ढौंड, 1713, राजपूताना)
तेवाड़ी- (त्रिपाठी, -, -, कुमाऊँ)
देवराणी- (भट्ट, -, 1500, गुजरात)
धसमाणा- (गौड़, धसमाण, 1723, उज्जैन)
नैथाणी- (कान्यकुब्ज, नैथाणा, 1200, कन्नौज)
नौडियाल- (गौड़, नौड़ी, 1600, भृंगा-चिरंगा)
पांथरी- (सारस्वत, पांथर, 1600, जालंधर)
पुरोहित- (खजीरी, -, 1813, जम्मू)
पुर्विया- (कान्यकुब्ज, -, 1800, कुमाऊँ)
पैन्यूली- (गौड़, पन्याला, 1207, दक्षिण)
पोखरियाल- (विल्वल, पोखरी, 1678, विलहित)
फरासी- (द्रविड़, फरासू, 1791, दक्षिण)
बंगवाल- (गौड़, बांगा, 1725, मध्य प्रदेश)
बड़थ्वाल- (गौड़, बड़ेथ, 1500, गुजरात)
बडोनी- (गौड़, बडोनी, 1500, बंगाल)
बडोला- (गौड़, बडोली, 1798, उज्जैन)
बदाणी- (कान्यकुब्ज, बधाण, 1722, कन्नौज)
बलोड़ी- (द्रविड़, बलोद, 1400, दक्षिण)
बहुगुणा- (आदि गौड़, बुघाणी, 980, बंगाल)
बौखंडी- (महाराष्ट्र, -, 1700, विरहित)
बौड़ाई- (गौड़, बौघर, 1500)
भट- (भट्ट, दक्षिण से)
भदेला- (द्रविड़)
मडवाल- (गौड़, महड़, 1700, कुमाऊँ)
ममगाई- (गौड़, उज्जैन)
मलासी- (गौड़, मलासू)
सकल्याणी- (कान्यकुब्ज, सकलाणा, 1700, अवध)
सिल्वाल- (द्रविड़, सिल्ला, -, बनारस)
सुंदरियाल- (कर्नाटक, सुंद्रोली, 1711, दक्षिण)
सुयाल - (भट्ट, सुई, -, गुजरात)
(साभार - गढ़वाल हिमालय- रमाकान्त बेंजवाल)