उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -36
उत्तराखंड में बैंगन /भट्टा का इतिहास
उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 12
उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --36
उत्तराखंड में बैंगन /भट्टा का इतिहास
उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 12
उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --36
आलेख : भीष्म कुकरेती
Botanical name - Solanum melongena
Common name Eggplant
भट्टा /बैंगन ) का जन्मस्थल भारत को माना जाता है किन्तु बैंगन की जाती का जन्मस्थल अफ्रिका को भी माना जाता है।
भट्टा का सर्वप्रथम उल्लेख संस्कृत साहित्य में मिलता है। प्राचीन संस्कृत (300 BC ) में बैंगन के लिए 33 नाम मिलते हैं जिनमे वर्त्त्का , भंटकी और नटिंगन नाम अधिक प्रयोग हुए हैं Swarup 1995 )। वर्तकु संस्कृत पूर्व कोल -मुंड भाषाई शब्द है। बुद्ध एवं जैन साहित्य में भी बैंगन का उल्लेख है। बैंगन संस्कृत नाम वतीं + गनह से पैदा हुआ है (Ramesh Bhat and S Vasanthi ,2008)।
विद्वान् बी. एन आचार्य के अनुसार बैगन का उल्लेख रामायण और महाभारत में हुआ है।
वृक्षवेद में बैगन की कई जातियों का वर्णन मिलता है।
आठवीं सदी के कश्यप के कृषि सूत्र में बैंगन के लाभ हानि पर चर्चा हुयी है।
जैन एवं श्रेष्ठ ब्राह्मणो के लिए बैंगन ताज्य था.
चीनी यात्री झेंग हे ने 1402 में बंगाल में बैगन के उपयोग का विवरण दिया है।
इसी तरह सोलहवीं सदी में पुर्गाली यात्री ने कर्णाटक में बैगन कृषि का उल्लेख किया है।
आईने -ए -अकबरी में भी बैगन का उल्लेख है।
सोलहवीं सदी के बंगाली साहित्य 'चान्दिमंगला ' में बैंगन का उल्लेख हुआ है।
चौथी शताब्दी के चीनी साहित्य में बैगन कृषि व बैगन के बारे में विवरण मिलता है।
सातवीं सदी के प्राचीन अरबी साहित्य और नवीं सदी के अफ्रीकी साहित्य में बैंगन का विवरण मिलता है।
इन तथ्यों से साफ़ पता चलता है कि बैगन का ज्ञान उत्तराखंड में हजारो साल से था। किन्तु बैगन बहुत कम मात्रा में उत्तराखंड की पहाड़ियों में उगाया जाता रहा है शायद इसके पीछे इस लोक कथन का हाथ हो ," अदा रोग भट्टा पूरो रोग खट्टा ".
Major Reference for Brinjal,
Ramesh V Bhat and V . Vasanti , 2008, Antiquity of the Cultivation and Uses of Brinjal in India , Asian Agri-History , Vol 12
Copyright @ Bhishma Kukreti 10/10/2013