गौं गौं की लोककला

संकलन

अमोला (अजमेर ) में भारत अमोली व गिरीश अमोली के जंगलेदार भवन में काष्ठ कला , अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : हरीश कंडवाल , साइकलवाड़ी

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उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 77

अमोला (अजमेर ) में भारत अमोली व गिरीश अमोली के जंगलेदार भवन में काष्ठ कला

अजमेर संदर्भ में गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन -1-

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार कला ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 77

संकलन - भीष्म कुकरेती

तल्ला अजमेर में अमोला गाँव एक महत्वपूर्ण गाँव है। भवन काष्ठ श्रृंखला में अमोला तल्ला अजमेर से भरत मोहन अमोली के जंगलेदार भवन व सामने गिरीश अमोला के जंगलेदार भवन की सूचना प्रसिद्ध ब्लॉगर, पत्रकार व साहित्यकार हरीश कंडवाल से मिलीं हैं।

भारत मोहन अमोला के जंगले का मकान सामान्य गढ़वाल का सिलेटी पत्थर छत का दुपुर मकान है। पहली मंजिल पर काष्ठ छज्जा है व छज्जा लकड़ी के ही दासों पर टिका है. पहली मंजिल में छज्जे के ऊपर सामने व बगल सहित 16 से अधिक सपाट स्तम्भों वाला जंगला है। स्तम्भ व छज्जा पट्टिका व छत आधार काष्ठ पट्टिका सभी सपाट हैं खिन भी कोई कलाकृति के दर्शन नहीं होते हैं याने कि अमोला तल्ला अजमेर में भारत मोहन अमोला के जंगले में केवल ज्यामितीय कला है व कहीं भी प्राकृतिक व मानवीय कला /अलंकरण का उपयोग नहीं हुआ है।

इसी तरह अमोला , तल्ला अजमेर में गिरीश अमोला के जंगले में भी स्तम्भों में ज्यामितीय छोड़ कोई अन्य विशेष अलंकरण के दर्शन नहीं होते हैं , छज्जा पट्टिका , छत आधार पट्टिका भी सपाट ही हैं . स्तम्भों के आधार व शीर्ष में आयत अंतर से ही स्तम्भों में छटा लायी गयी है

निष्कर्ष निकलता है कि अपने जमाने में भव्य व अमोला तल्ला अमजेर को विशिष्ठ छवि दिलाने वाली दोनों जंगलेदार मकान में ज्यामितीय अलंकरण छोड़ मानवीय व प्राकृतिक अलंकरण दृष्टिगोचर नहीं होते हैं।

स्पष्ट है कि दोनों जंगलेदार मकानों का निर्माण काल सन 1950 के पश्चात ही है। कष्ट कलाकार अजमेर के ही रहे होंगे इसमें को संदेह नहीं।

सूचना व फोटो आभार : हरीश कंडवाल , साइकलवाड़ी

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