शायद जीवन यही है
बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
फिर भी लगता है
फिर भी लगता है
इस दिल को
इस दिल को
एक दिन मेरा भी आएगा
एक दिन मेरा भी आएगा
दूर हूँ अपनों से
दूर हूँ अपनों से
बहुत दूर हूँ मैं
बहुत दूर हूँ मैं
वो अपना पास आकर
वो अपना पास आकर
मुझे अपनों के
मुझे अपनों के
पास ले जाएगा
पास ले जाएगा
तुम कहा करते थे ना
तुम कहा करते थे ना
मैं उसे बड़े ध्यान से
मैं उसे बड़े ध्यान से
सुना करता था
सुना करता था
नारज ना हो जाये तू कहीं
नारज ना हो जाये तू कहीं
बीच में हूँ हूँ भरता रहता था
बीच में हूँ हूँ भरता रहता था
कितने अजीज थे हम दोनों
कितने अजीज थे हम दोनों
दिल दिल से कितने दूर होये
दिल दिल से कितने दूर होये
ध्यानी तो मजदूर बन गया
ध्यानी तो मजदूर बन गया
दिल से तू भी मजबूर हो गया
दिल से तू भी मजबूर हो गया
बातों में बात जब भी आती है
बातों में बात जब भी आती है
याद तेरी मुझे तेरे पास ले जाती है
याद तेरी मुझे तेरे पास ले जाती है
गलतफहमी दूर न की जाए तो
गलतफहमी दूर न की जाए तो
वो नफरत में बदल जाती है
वो नफरत में बदल जाती है
अपनों से दूर जाकर ही
अपनों से दूर जाकर ही
अपनों की याद आती है
अपनों की याद आती है
रोटी कच्ची पक्की जली
रोटी कच्ची पक्की जली
तब माँ की बहुत याद आती है
तब माँ की बहुत याद आती है
आँखों को कहना रोना नहीं
आँखों को कहना रोना नहीं
माँ को पता चल जाएगा
माँ को पता चल जाएगा
आज भूखा ही सो गया हूँ
आज भूखा ही सो गया हूँ
माँ भी भूखी सो जायेगी
माँ भी भूखी सो जायेगी
परदेश ने याद दिलाई है
परदेश ने याद दिलाई है
देश में होली दिवाली है
देश में होली दिवाली है
मैंने भी रंग दिप जलाये हैं
मैंने भी रंग दिप जलाये हैं
शायद जीवन यही है
शायद जीवन यही है
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