जयपाल सिंह रावत

म्यारा डांडा-कांठा की कविता

कोरोना महामारि, भारि भ्यू हुईंचा।

चल्दा बट्वेई थमेगि, पुलिस न्यरि लगींचा।।

चीन क बूहान शैर,सब चूलैकि पैली।

वख बटैकि य बीमरी, सरि दुन्य मा फैली।।

जखी छवा वखी राव, यांमु ही भलै चा।

जैकि समझ मानि औंणि, सड़क मा हिटै चा।।

कैका ओर धोर निजा, भारि भ्यू हुईंचा।

कोरोना महा.................. भ्यू हुईंचा।।

विश्व स्वास्थ्य संगठन तै इन पुछ्येइ ग्याई।

बगत रैंद दुन्य तै, चितलु किलै नि काई।।

तब चिता लुखुला जब वु, घैल पोड़ी गींना।

घार बूंण जखी तखी, बाटs म रैगींना।।

बालबच्चा अर समान, अकलाकंड लगींचा।

द्यखेजा त गरीबि कू, क्वी ठिकणू नींचा।।

Copyrighted@Jaip Singh Rawat


जुबाँ पर सदा ही रहे नाम तेरा

बह्र: 122 122 122 122

काफ़िया: ए रदीफ़: नाम तेरा

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कलम जब चले तो लिखे नाम तेरा

जुबां पर सदा ही रहे नाम तेरा

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सुनाई न दे और कुछ भी मुझे बस

हवा भी चले तो कहे नाम तेरा

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जिसे भी मिलूं मैं वही बात बोलूं

भला हर किसीको लगे नाम तेरा

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सदा ना रहा है न कोई रहेगा

मगर इस जहां में चले नाम तेरा

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गजल गाइये आज जयपाल ऐंसी

लगन से जमाना भजे नाम तेरा

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रचयिता: जयपाल सिंह रावत

काव्योदय 1424

28042019


कोरोना बीमरी अईंचा, सरि दुनिया का बीचा।

रोकथाम सबि कनै लग्यां अबि, कैका वस मा नीचा।।

चीन देश बूहान शहर मा,सबसे पैली आई।

इन बिजोग प्वाड़ द्यखदै द्यखद, संगती फैली ग्याई।।

एक देश से हैंक देश मा, घुमणा रैं सैलानी।

रेल हवै जहाज बन्द इन, होलु कैल नी जांँणी।।

मनख्यूँ पर बटि सैरि कै वा,मनख्यूँ मा जाणीचा।

कोरोना बीमरी................................ बीचा ।।

लाखों मंथा छोड़िकि चलिगीं, ऊंसे बंड्या रोगी।

धन्यभाग जो सुक्यरा ह्वेगीं, ईं विपदा तैं भोगी।।

क्वारंटाइन मा रै रै की, याद हिवाँलै आई।

जब जब मौका मिलणुउ रा मी, घारम किलै नि गाई।।

घ्वीड़ थयीं बल चांठू प्यारू,मतलब ब्वनकू ईचा।

कोरोना बी...................................... बीचा।।