गौं गौं की लोककला

संकलन

भीष्म कुकरेती

गटकोट में पंडित महानंद जखमोला के जंगलेदार तिपुर मकान में काष्ठ कला

सूचना व फोटो आभार : विवेका नंद जखमोला

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 59

गटकोट में पंडित महानंद जखमोला के जंगलेदार तिपुर मकान में काष्ठ कला

गटकोट में /तिबारी जंगलेदार मकान में काष्ठ कला - 5

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 59

संकलन - भीष्म कुकरेती

टिहरी गढ़वाल , चमोली गढ़वाल हो या हो ढांगू गढ़वाली , सभी जगह यह पाया गया है कि जंगलेदार (railing ) मकानों में काष्ठ कला अलंकरण कम ही पाया गया व ज्यामितीय कला ही अधिक हावी हुयी है।

प्रलेखीकरण या दस्तावेजीकरण हेतु आवश्यक है कि प्रत्येक गाँव की तिबारियों , निमदारिओं , डंड्यळ -डंड्यळियोन व जंगलेदार मकानों का विवेचन हो व डिजिटल मीडिया या इंटरनेट माध्यम में जाय।

दस्तावेजीकरण में आज गटकोट में प्रसिद्ध कर्मकांडी पंडित महानंद जखमोला के जंगलेदार मकान में काष्ठ कला की विवेचना होगी। गटकोट में महानंद जखमोला का जंगलेदार तिपुर मकान क्षेत्र में गटकोट छवि वृद्धि कारक ही न था अपितु गटकोट में कई सामाजिक का सामूहिक कार्यों के लिए भी कारक था जैसे रामलीला मंचन का सामन रखना , रामलीला रिहर्सल , सामूहिक भांड कूंड रखना , बरात ठहराना आदि हेतु महा नंद जखमोला की तिबारी कई वर्षों तक उपयोग होती रही है। अब पलायन के कारण उपजे विभिन्न समस्याओं से यह तिपुर जूझ रहा है जीर्णोद्धार की प्रतीक्षारत है।

जैसा कि तिपुर नाम से ही पता चलता कि मकान पहाड़ी शैली में दो मजिला उबर /तल मंजिल के उपर डेढ़ या दो मंजिल और हैं. मुख्य जंगला (railing ) पहली मंजिल पर है , जंगला के स्तम्भ तल मंजिल व पहली मंजिल दोनों में हैं।

मकान का छज्जा पाषाण का है किन्तु उस बढ़ाने हेतु लकड़ी का छज्जा भी लगाया गया . पहले मंजिल का छज्जा दो मिटटी पत्थर के स्तम्भों /columns पर टिका है। पहली मंजिल में 30 ज्यामितीय शैली में कटे स्तम्भ हैं जिन पर कोई प्राकृतिक या मानवीय कला अलंकृत नहीं हुयी है किन्तु ठंठोली के कालिका प्रसाद बडोला के जंगल की भाँति ही इस जंगले स्तम्भों के ऊपरी भाग अंग्रेजी टी T आकर हैं जो जंगले को एक विशेष छवि प्रदान करने में सक्षम हैं व दूर से ऐसा लगता है स्तम्भों के मध्य शीर्ष में तोरण बंधा हो। स्तम्भों के मध्य दो फिट का फैसला है व दो फिट ऊपर तक छोटा जंगले हैं जो मकान को विष छवि प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष निकलता है कि गटकोट में महा नंद जखमोला के जंगलेदार मकान अपने वृहद रूप ही नहीं अपितु तिपुर (जिस मकान पर तीन मंजिल भूतल के ऊपर दो और मंजिल ) में जंगल , जंगल में ज्यामितीय कला , जंगल के काष्ठ स्तम्भों के ऊपर अंग्रेजी टी T आकर के लिए याद की जाएगी। जंगल दार निमदारियों निर्माण का प्रचलन सन 1940 के पश्चात ही प्रचारित हुआ तो महा नंद जखमोला का काष्ठ युक्त स्तम्भों से सजा जंगलेदार मकान भी सन 1950 के बाद का ही होगा व स्थानीय मिस्त्रियों ने ही जंगलेदार मकान का निर्माण किया होगा।

सूचना व फोटो आभार : विवेका नंद जखमोला

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020