गौं गौं की लोककला

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खमण (ढांगू ) में विष्णु दत्त लखेड़ा की तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : बिमल कुकरेती, खमण

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 73

खमण (ढांगू ) में विष्णु दत्त लखेड़ा की तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण

खमण में तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण -3

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 73

संकलन - भीष्म कुकरेती

जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि भौगोलिक दृष्टि से खमण डबरालस्यूं में है किंतु सामाजिक कारणों से खमण गाँव मल्ला ढांगू का हिस्सा है। कहा जाता है कि ग्वील के संस्थापक व जसपुर के मूल निवासी 'बृषभ जी' की मां को डबरालों ने खमण दहेज में दान दिया था (देखें चक्रधर कुकरेती रचित कुकरेती वंशा वली )

गुरु राम राय दरबार के पूर्व महंत मोक्ष प्राप्त इंदिरेश चरण दास भी खमण के ही थे।

आज खमण में विष्णु दत्त लखेड़ा की तिबारी की विवेचना होगी। तिबारी जीर्ण शीर्ण दशा में है और मकान मरोम्मत का कार्य चल रहा है .

आम तिबारी की भांति तिबारी पहली मंजिल पर बिठाई गयी है। तिबारी चार स्तम्भों /सिंगाड़ की व तीन मोरी /खोळी से बनी है व स्तम्भ/सिंगाड़ के शीर्ष में arch /मेहराब /तोरण व मुरिन्ड के ऊपर पट्टिका है जो छत आधार को छूती में कोई कला अलंकरण नहीं है।

किनारे के दोनों स्तम्भ दिवार से काष्ठ कड़ी से जोड़े गए हैं। कड़ी में बेल बूटों की नक्कासी है। सम्भ का आधार कुम्भी अधोगामी पद्म पुष्प दल से बनता है व अधोगामी पुष्प दल के ऊपर तक्षणयुक्त डीला ( carved round wood plate ) है जहां से स्तम्भ सिंगाड़ में उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल फूटता है। पद्म पुष्प जैस ही समाप्त होता है स्तम्भ की मोटाई कम होती जाती है। जहां पर स्तम्भ का शाफ़्ट /कड़ी की सबसे कम मोटाई है वहां से तीन कला तक्षण युक्त डीले मिलते हैं व डीलों के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है। यहीं से स्तम्भ का थांत आकृती (bat blade नुमा ) शुरू हो ऊपर छत आधार पट्टिका से मिल जाता है, यहीं से तोरण /arch /महराब की अर्ध पट्टिका शुरू होती है जो दूसरे स्तम्भ के अर्ध तोरण पट्टिका मिल कर पूर्ण तोरण बनाते हैं। तोरण का बनावट तिपत्ति नुमा है किन्तु बीच मध्य में कटान तीक्ष्ण है। तोरण पट्टिका पर प्राकृतिक (बेल बूटे ) अलकंरण उत्कीर्ण हुआ हिअ व तोरण पट्टिका के दोनों किनारों में एक एक अष्टदलीय पुष्प उत्कीर्णित हैं। कुल मिलाकर तिबारी में 6 अष्टदलीय पुष्प मिलते हैं.

स्तम्भ व मुरिन्ड व मुरिन्ड के ऊपर खिन भी मानवीय या धार्मिक प्रतीक की कोई आकृति खमण के विष्णु दत्त लखेड़ा की तिबारी में नहीं मिलते हैं। आश्चर्य है कि खोळी भी साधारण है या कलायुक्त खोळी (entry gate at ground floor ) की सूचना आनी बाकी है।

निष्कर्ष निकलता है कि खमण में विष्णु दत्त लखेड़ा की तिबारी ढांगू , उदयपुर , लंगूर , डबराल स्यूं की अन्य सामन्य तिबारियों जैसे ही प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण से कलायुक्त व अलंकृत है। क्षेत्र की अन्य तिबारियों से अलग कोई विशेष कला /अलंकरण विष्णु दत्त लखेड़ा की तिबारी में नहीं मिलते हैं। यह सत्य है कि एक या दो दशक पूर्व तक विष्णु दत्त लखेड़ा की तिबारी खमण व विष्णु दत्त लखेड़ा की विशेष पहचान ( brand identity ) थी।

सूचना व फोटो आभार : बिमल कुकरेती, खमण

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