ब्रिटिश गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल

गोरखाओं द्वारा राजच्युत प्रद्युम्नशाह के पुत्र राजा सुदर्शन शाह ने अपने खोए राज्य को प्रप्त करने के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी से सहायता मांगी। सुदर्शन शाह ने गोरखाओं पर जीत के बदले मेजर हियर्सी को देहरादून देने का वचन दे रखा था।

30 नवम्बर, 1815 ई० को गढ़वाल का अधिकार गोरखाओं से जीतकर अंग्रेजों के पास आ गया। अंग्रेजों ने गढ़वाल राज्य के बदले पांच लाख रुपए राजा से मांगे लेकिन राजा के पास इतना धन न होने से मंदाकिनी तथा आगे अलकनंदा का पूर्वी भाग अंग्रेजों ने अपने अधीन और पश्चिमी भाग राजा सुदर्शन शाह को दे दिया। श्रीनगर पुरानी राजधानी अंग्रेजों के पास होने से राजा सुदर्शन शाह ने अपनी राजधानी भागीरथी व भिलंगना के संगम स्थल टिहरी में स्थापित की। पंवार वंश द्वारा स्थापित इस राज्य को टिहरी रियासत नाम से जाना जाने लगा। शेष भाग अंग्रेजों के अधीन था जिसे ब्रिटिश गढ़वाल के नाम से जाना जाता था। बाद में ब्रिटिश गढ़वाल को कुमाऊँ कमिश्नरी से जोड़ दिया गया।

गढ़वाल तथा कुमाऊँ अंग्रेजों के अधीन हो गए थे। 18 मई, 1815 ई० से 8 जुलाई, 1815 तक थोड़े दिनों के लिए ई. गार्डनर कुमाऊँ कमिश्नरी का प्रथम कमिश्नर बना।गार्डनर के पश्चात सन् 1830 तक जी. डब्लू ट्रेल यहां का कमिश्नर रहा। इसके बाद कर्नल गोयन (1830-1839) कुमाऊँ का कमिश्नर बना। ब्रिटिश गढ़वाल जो 1815 से 1839 ई० तक कुमाऊँ कमिश्नरी की एक तहसील थी, को सन् 1839 में जनपद का दर्जा मिला था। अपनी जलवायु के अनुकूल अंग्रेज श्रीनगर से मुख्यालय पौड़ी ले गये।

कुमाऊँ तथा गढ़वाल जिलों के लिए अलग-अलग असिस्टेंट कमिश्नरों की नियुक्ति की गई। सन् 1839 से 1847 ई० तक लशिंग्टन तथा सन् 1848 में गढ़वाल के असिस्टेंट कमिश्नर जे. एच. बेटन को कुमाऊँ का कमिश्नर नियुक्त किया गया। 20 फरवरी, 1856 से 1885 ई० तक कैप्टन रामजे कुमाऊँ का कमिश्नर बना रहा। रामजे के पश्चात एच. जी. कौस (1885-1887 ई०), जे. आर. रीड (1888-1889 ई०), अर्सकाइन (1889-1892 ई०), डी. टी. रौबर्टस (1892-94 ई०), ई. ई. ग्रिड (1894-1898 ई०), हैमबलिन (1899-1902), एम. डब्बू. शेक्सपीयर (1903-1905 ई०), कैम्पबेल (1906-1913 ई०), पर्सी विंढम (1914-1924 ई०), स्टिप्फ (1925-1931 ई०), स्टब्स (1931-1933 ई०), येन (1933-1935 ई०), इबट्सन (1935-1939 ई०), विवियन (1939-1941 ई०), एक्टन (1941-1943 ई०), फिनले (1943-1947 ई०), के. एस. मेहता (अप्रैल 1947 से जनवरी 1948 ई० ) कुमाऊँ कमिश्नरी के कमिश्नर बने रहे। ट्रेल, बेटन व रामजे को उनके द्वारा किए गए बंदोबस्त व विकास कार्यों के लिए ख्याति मिली थी।

टिहरी रियासत में राजा का शासन चलता था। सन् 1815 से 1859 ई० तक राजा सुदर्शन शाह टिहरी नरेश बने रहे। इनके बाद भवानी शाह (1859-71 ई०), प्रताप शाह (1871-1886 ई०), कीर्ति शाह (1886-1913 ई०), नरेन्द्र शाह (1913-1949 ई०) टिकरी रियासत के राजा बने रहे। कीर्ति शाह ने कीर्तिनगर तथा नरेन्द्र शाह ने नरेन्द्र नगर बसाया।

(साभार- गढ़वाल हिमालय- रमाकान्त बेंजवाल)