गौं गौं की लोककला

(बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल की भव्य तिबारी व खोळी में लोक कला

सूचना व फोटो आभार: किशोर रावत

Copyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 207

बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल की भव्य तिबारी व खोळी में लोक कला

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , छाज कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी- 20

संकलन - भीष्म कुकरेती

कई बार कहा जा चुका है कि रुद्रप्रयाग तिबारियों व खोलियों हेतु भाग्यशाली जिला है। इसी क्रम में आज रुद्रप्रयाग के दशज्यूला क्षेत्र के स्व प्रेम पति कांडपाल द्वारा सन 1945 में निर्मित कलायुक्त -भव्य तिबारी , खोली व छज्जे के नीचे अंकित की कलाओं के बारे में चर्चा करेंगे। आज यह मकान उमा दत्त कांडपाल का मकान के नाम से जाना जाता है। मकान क्वीली के शिल्पकारों द्वारा निर्मित हुआ है।

बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के भव्य मकान में लोक कला अध्ययन व विवेचना हेतु छज्जे के दासों (ओढ़ी /सीरा ) के मध्य विभिन्न प्रकारों की आकृति अंकन , खोली में कलायुक्त अंकन , खोली के ऊपरी भाग के अगल -बगल में कलायुक्त अंकन और तिबारी में काष्ठ कला अंकन व अलंकरण का अध्ययन आवश्यक है।

1 - बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान में तल मंजिल में छज्जे के दासों के मध्य कला अंकन :-

बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान में तल मंजिल में छज्जे के नीचे आधार देने वाले दास (ओढ़ी /सीरा ) भी कला युक्त हैं व चिड़िया चोंच व पुष्प केशर नाभि (केला के फूल का आभास ) आकर के हैं। इन कलायुक्त प्रत्येक दो दासों (ओढ़ी /सीरा ) के मध्य चौखट आकृति में मानवीय वा प्राकृतिक आकृतियां अंकित हैं। इन आकृतियों में दो जगह प्रतीकात्मक आकृतियां पूजन समय चौकी की ग्रह आकृतियां , स्वास्तिक , दो जगहों में गाय व तीर के पश्च भाग में पत्ती आकृति वा एक चौखट में देव आकृति अंकन हुआ है। इस तरह की दासों के मध्य चौखट में इस प्रकार भव्य कला अंकन अब तक के भवनों में लोक कला सर्वेक्षण में पहली बार मिला है।

२ --- बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान में खोली में कला अंकन , अलंकरण व नक्काशी :-

बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान की खोली में उत्तम श्रेणी की कला अंकन , अलंकरण व नक्काशी हुयी है। खोळी (पहली मंजिल में जान हेतु आंतरिक प्रवेश द्वार ) के दोनों ओर दीवार की चौखट कलायुक्त है। खोळी का प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ तीन उप सिंगाड़ों /स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुआ है। दीवार से सटे किनारे के दोनों उपस्तम्भों में आधार पर उल्टा कमल , ड्यूल , सीधा कमल फिर ड्यूल व फिर सीधा कमल है व यहां से उप स्तम्भ लम्बोतर व धार -गड्ढे की आकृति में ऊपर चलता है व फिर उल्टा कमल अंकन मिलता है , उल्टे कमल के ऊपर ड्यूल है। फिर ऊपर सीधे कमल से दबल /घट आकृति लिए है जिसके ऊपर लम्बोतर सीधा कमल फूल है , फिर उल्टा कमल फूल है व ड्यूल है जिसके ऊपर सीधा कमल फूल है व यहां से दोनों उप स्तम्भ सीधी ऊपर जाकर मुरिन्ड (शीर्ष कड़ी ) की एक तह (layer ) बन जाते हैं। दरवाजे की और के अंदर के दोनों उपस्तम्भ भी एक सामान हैं। दरवाजों की और अंदर के उप स्तम्भ का आधार वैसे ही है जैसे दीवार से स्टे उप स्तम्भ हैं। दरवाजे से सटे उप स्तम्भ में बदलाव यह है कि सीधे कमल के फूल के बाद उप स्तम्भ सीधा ऊपर जाता है व मुरिन्ड की दो तह (layer ) बनाता है इस दौरान स्तम्भ कड़ी में पर्ण -लता अंकन हुआ है। इन दो उप स्तम्भों के बीच एक उप स्तम्भ और है जो आधार में उल्टे कमल फूल के ऊपर ड्यूल से ही सीधा कड़ी बनकर ऊपर जाकर मुरिन्ड की कई तहों (layers ) में परिवर्तित हो जाता है।

३- बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान की खोळी के मुरिन्ड में पालथी मारे चतुर्भुज गणेश आकृति स्थापित है व गणेश के हाथ में कमल फूल व हथियार दीखते हैं।

४ -- बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान की खोली के अगल -बगल में कला अंकन , अलंकरण :-

बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान की खोळी के ऊपरी हिस्से में दोनों ओर चौखट हैं व प्रत्येक चौखट के बाहरी ओर दो दो दास हैं जिनके ऊपर हाथी आकृति स्थापित है। इन दासों के मध्य चौखट है जिनके चरों ओर के फ्रेम में वानस्पतिक याने बेल बूटों का अंकन हुआ है। फ्रेम के अंदर मेहराब /तोरण /arch अंकन है व तोरण के अंदर कमल पुष्प लिए मुकुटधारी , साड़ी में लक्ष्मी आकृति अंकन हुआ है। बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल खोळी के ऊपर छज्जा आधार से शंकु लटके हैं जी गाय या भैंस के स्तन जैसे आकृति के हैं।

५ बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान के तल मंजिल के कमरों के मुरिन्ड में बहु दलीय पुष्पों का अंकन हुआ है।

६ -बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान की तिबारी में कला अंकन , अलंकरण , नक्काशी :-

बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान की तिबारी भी विशेष तिबारी की श्रेणी में आएगी। तिबारी चौखम्या व तीन ख्वळ्या (चार स्तम्भ /सिंगाड व तीन ख्वाल ) है। तिबारी में मेहराब है व ऊपर प्रत्येक त्रिभुज में एक चिड़िया , दो अष्ट दलीय पुष्प व बेल बूटों का अंकन हुआ है।

तिबारी के प्रत्येक सिंगाड /स्तम्भ चार चार उप स्तम्भों के जोड़ से बने हैं इस तरह तिबारी में कुल सोलह उप स्तम्भ हैं। प्रत्येक उप स्तम्भ छज्जे ऊपर देहरी में स्थापित डौळ के ऊपर स्थित हैं। उप स्तम्भ के आधार में उल्टा कमल से घट /दबल आकृति बनती है व उल्टे कमल दल के ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर बड़ा लम्बा सीधा कमल फूल आकृति अंकित है व यहां से स्तम्भ लौकी आकर ले लेता है। इसआकृति में में स्तम्भ में धार -गड्ढे (fuet -flitted ) का कटान हुआ है। जहां पर स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां उल्टा कमल फूल ुंभर कर आया है जिसके ऊपर ड्यूल है व उसके ऊपर कुछ कुछ साहूकार रूपी सीधा कमल दल है। चरों सीधे कमल दलों के ऊपर एक चौकोर आसान स्थापित है जहां से मेहराब निकलते हैं व स्तम्भ का आकर दो थांत (Cricket bat blade ) का आकर धारण कर ऊपर मुरिन्ड से मिल मुरिन्ड की कड़ी बन जाते हैं , मुरिन्ड की कड़ी व उसके ऊपर की कड़ी में बेल बूटों की नक्काशी हुयी है।

मुरिन्ड के ऊपर छत के काष्ठ आधार से कई शंकु लटके हैं व ाँकि आकृति गे -भैंस के स्तन /दुदल जैसे हैं।

निष्कर्ष निकलता है कि बैंजी कांडई (रुद्रप्रयाग ) में उमा दत्त कांडपाल के मकान की खोळी , खोळी के अगल बगल , दासों (ओढ़ियों। सीरा ) के अगल बगल के चौखट में , व तिबारी में उच्च श्रेणी की ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय कला अलंकरण अंकन हुआ है। मकान शानदार नक्काशी का उम्दा नमूना है

सूचना व फोटो आभार: किशोर रावत

* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी . मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020