उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -60

बिराउ/ बिलिकंद उपयोग और इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 18

उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --60

बिराउ/ बिलिकंद उपयोग और इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में बिराउ/ बिलिकंद की सब्जी , औषधीय उपयोग,अन्य उपयोग और इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में जंगल से उपलब्ध सब्जियों का इतिहास -18

उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --60

आलेख : भीष्म कुकरेती

Botanical name - Peuraria tuberosa

Common Name -Indian Kutzu

उत्तराखंडी नाम - बिराउ

संस्कृत नाम -भुकुशमंडी , विदारिका आदि

हिंदी नाम -बोलाईकंद , विदारी

नेपाली नाम -बराली कंद

पौधे की लम्बाई -लतायुक्त , लम्बा और मोटा। गोल बर्तन जैसा 10 किलोग्राम का जड़ /कंद

पौधे का रहन सहन - पाकिस्तान , कश्मीर नेपाल, वर्मा तक का हिमालयी क्षेत्र व चीन के हिमालय क्षेत्र में में भी 300 -से 1300 मीटर ऊँचे स्थान में उगता है। भारत में पश्चमी घाट व अन्य क्षेत्रों में भी उगता है।

जन्मस्थल -भारत hai

साहित्य उल्लेख - सुश्रुवा संहिता , भाव प्रकाश , चक्रदत्ता जैसे गर्न्थों में उल्लेख मिलता है

चीन में 200 BC से विदारी कंद का औषधीय उपयोग होता आया है।

औषधीय उपयोग - सर दर्द , उलटी होने , आम टॉनिक , त्वचा रोग , घुटनो व जोड़ों के दर्द , शक्कर रोग (डाइबिटीज ) , प्रजनन शक्ति वर्धन , व विशेष ज्वर के उपचार हेतु उपयोग होता है।

इसके तने से रंग भी बनाया जाता था।

बिराउ को अकाल का भोजन माना जाता है। बिराउ के कंद से सब्जी बनायी जाती है।

बिराऊ की प्रजाति खत्म होने की कगार पर बताया जाता है।

Copyright @ Bhishma Kukreti 14 /11/2013