आलेख :विवेकानंद जखमोला शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

सूचना सहयोग साभार:-श्री उमेश सिंह असवाल जी ।

छायाचित्र:-श्री असवाल जी की ही फेसबुक वाॅल से।

रिंगवाड़ी रिंगवाड़स्यूं,एकेश्वर (पौड़ी गढ़वाल) में स्थित जल स्रोत (धारे , मंगारे , नौले ) की पाषाण शैली व कला

उत्तराखंड के स्रोत धारे,पंदेरे, मंगारे और नौलौं की निर्माण #शैली विवेचना की इस कड़ी के अंतर्गत आज प्रस्तुत है ग्राम रिंगवाड़ी पट्टी रिंगवाड़स्यूं विकास खंड एकेश्वर जनपद पौड़ी गढ़वाल में निर्मित धारे की निर्माण शैली के बारे में।

रिंगवाड़ी जल संसाधनों की दृष्टि से जल समृद्ध गांव है, रिंगवाड़ी का यह दूसरा अनमोल जलस्रोत इसकी प्रत्यक्ष पुष्टि करता है।

गांव का फैलाव टुकडो मे हैं। इसलिए गांव का एक हिस्सा इस पंदेरे को प्रयोग करता हैं। यह श्रोत खेत मे हैं। इसपर दो धारे लगा रखे हैं। दांयी तरफ लोहे के पाइप से धारा लगा रखा है जिसे ऊपर नीचे दोनों तरफ से पत्थर की प्लेटों से ढककर प्राकृतिक धारे का स्वरूप देने का प्रयास किया गया है तथा बांयी ओर दूसरा धारा मेढामुखी (खाडूनुमा) आकृति का हैं जो पत्थर की सिल्ली को हथोड़ी छेनी से तराशकर बनाया गया है। जीर्णोद्धार के बाद धारे की सुरक्षा और मजबूती के साथ-साथ इसे फिनिशिंग देने के लिए के लिए सीमेंट प्लास्टर किया गया है।यह छोया स्रोत है इसलिए इसमें पानी केवल बरसात मे ही आता हैं।

जल धारा के ऊपर भूदेवी का मंदिर हैं। गांव वालों के अनुसार देवी यहाँ पर स्नान करने आती थी।स्थानीय शिल्पकारों द्वारा निर्मित किये गये इसे एक ही स्रोत को दो धाराओं में बांटा गया है। इसकी सुंदरता और सुरक्षा के लिए इसके दोनों तरफ सुरक्षा दीवार बनाई गई है, धारे को उचित ऊंचाई पर स्थापित करने के लिए पहले लगभग 4 फीट ऊंची आधार दीवार पत्थरों से चिनकर(पगार चिनाई ब्यूंत से) बनाने के बाद इस पर बांयी व दांयी ओर दो धारे लगाए गए हैं। स्रोत की स्वच्छता और सुरक्षा के लिए इसके फर्श पर भी सीमेंट कंक्रीट की ग्रोटिंग की गई है। जिससे कि गिरती धाराओं से भूमि कटाव न हो और वर्तन रखने के लिए ठोस आधार उपलब्ध हो जाए।जलस्रोत के आगे फर्श पर दोनों ओर दो सीढ़ी नुमा चबूतरे वर्तन रखने और कपड़े धोने के लिए सीमेंट व पत्थरों से निर्मित किये गये हैं। इस के बांये सिरे पर ऊपर इसके जीर्णोद्धार में आर्थिक सहयोग करने वाले ग्रामीणों के नाम सीमेंट पट्टी पर उत्कीर्ण किये गये हैं। इस पट्टी पर अंकित 3रुपये, 5रुपये की सहयोग राशियों को देखते हुए यह बात कही जा सकती है कि पूर्वजों द्वारा संजोई गई यह अनमोल धरोहर बहुत ही प्राचीन काल से इस गांव की प्यास बुझाने के लिए उपलब्ध रही होगी।

पाषाण शिल्प की दृष्टि से यह एक सुन्दर मनोहारी जल धारा है।

सूचना सहयोग साभार:-श्री उमेश सिंह असवाल जी ।

छायाचित्र:-श्री असवाल जी की ही फेसबुक वाॅल से।