गौं गौं की लोककला

के. जी. कंडवाल की निमदारी में काष्ठ कला नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : श्याम सुंदर बिंजोला , रैंस

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 121

के. जी. कंडवाल की निमदारी में काष्ठ कला नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , काठ बुलन ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 121

संकलन -भीष्म कुकरेती

यमकेश्वर (पौड़ी गढ़वाल ) में किमसार एक महत्वपूर्ण गाँव है और पहले खंडों में सूचित किया ही जा चुका है कभी किमसार वैद्यकी व पंडिताई के लिए क्षेत्र में प्रसिद्ध था। किमसार से भी कुछ तिबारियों व निमदारियां होने की सूचना मिली है। प्रस्तुत है

आज किमसार के की जी कंडवाल की निमदारी की काष्ठ कला की चर्चा होगी। पहली मंजिल पर दुखंड /तिभित्या मकान में स्थित की जी कंडवाल की निमदारी की विशेषता इसका बरामदा बड़ा होना है व बरामदे की छत लकड़ी की है व मजबूत है। किमसार में के जी कंडवाल की इस निमदारी है जिसमे 16 से अधिक स्तम्भ /खम्बे है। स्तम्भ आधार व ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड से पहले मोठे या ज्यामितीय कटान से अलंकृत है। अपने बचपन व यौवन काल में निमदारी के जी कंडवाल परिवार की ही शान व पहचान न थी अपितु किमसार समेत पूरे डाडामंडल हेतु भी गर्व वास्तु थी।

मकान व् निमदारी निर्मणा में स्थानीय शिल्पकारों का हाथ है।

निष्कर्ष निकलता है कि किमसार में की जी कंडवाल की निमदारी में ज्यामितीय कला अलंकरण उत्कीर्ण हुयी है व प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण नहीं है। लकड़ी नक्कासी दृष्टि से निमदारी सामन्य है किंतु बरामदे की दृष्टि से निमदारी भव्य ही।

सूचना व फोटो आभार : श्याम सुंदर बिंजोला , रैंस

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही