आलेख :विवेकानंद जखमोला शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

फोटो साभार :

1)हरेंद्र सिंह भंडारी जी।

2)श्री जगनमोहन सिंह जयाड़ा जी।


नाग गांव टिहरी गढ़वाल में स्थित जल स्रोत

(धारे , मंगारे , नौले ) की पाषाण शैली व कला।

उत्तराखंड के स्रोत धारे,पंदेरे, मंगारे और नौलौं की निर्माण #शैली विवेचना के तहत आज प्रस्तुत है जल संचय जीवन संचय के लिए समर्पित इस श्रृंखला में टिहरी जनपद, देवप्रयाग ब्लाक, चंद्रवदनीं क्षेत्र, जामणीखाल के निकट नाग गांव में नागेश्वर महादेव परिसर के पास स्थित इस मंगारे की निर्माण शैली और पाषाण कला के बारे में।

आइए जानते हैं धरणी के गर्भ से निःसृत इस शीतल मधुर जलधारा(मंगारे) की निर्माण शैली के बारे में :- प्राप्त जानकारी के अनुसार टिहरी जनपद, देवप्रयाग ब्लाक, चंद्रवदनीं क्षेत्र, जामणीखाल के निकट नाग गांव में नागेश्वर महादेव मंदिर परिसर के पास है यह मंगारा । मंगारा बहुत पुरातन है ।इसका निर्माण स्थानीय शिल्पकारों द्वारा किया गया था। बहते पानी को इस स्थल पर एकत्रित करने के लिए स्थानीय तौर पर उपलब्ध बड़ी बड़ी पत्थर की सिल्लियों से चिनाई करके सुरक्षा दीवार बनाई गई है तथा पानी को जलधारा का स्वरूप देने के लिए अश्वमुखी मंगारा लगाया गया है।मंगारे के पत्थर पर शानदार नक्काशी की गई है मंगारे पर अश्व का आभास कराती सुंदर आकर्षित करने वाली नक्काशी उत्कीर्ण की गई हैं और जलधार निकलने के लिए अश्व मुख जैसा सुन्दर उभार दिया गया है। अश्व की गर्दन पर भी सुंदर बारीक नक्काशी की गई है । अश्व के मस्तक पर उभरी नक्काशीदार कलगी भी अत्यंत मनभावन लगती है। भूतल से पहले 3-4फीट के लगभग ऊंची एक सीधी दीवार चिनी गई है और तब जल स्रोत को इस प्रकार संग्रहण किया गया है कि वह यहां पर धारा का रूप ले सके। अश्व के मुख से निकलती जल धारा बरबस ही आकर्षित करती है। धारे के ऊपर से पत्थरों व सीमेंट की एक दीवार उर्ध्वाधर बनाई गई है। अत्यंत मनमोहक इस अश्वमुखी मंगारे का निर्माण जिसने भी किया होगा वह सचमुच ही कला का धनी शिल्पकार रहा होगा। आज आवश्यकता है कि हम अपने पूर्वजों की इस अमूल्य धरोहर के संरक्षण के लिए तत्पर रहें ताकि प्रकृति का यह अनुपम खजाना हमारी जीवन धारा में निरंतर यूं ही प्राणाभिसिंचन करता रहे।

प्रेरणा स्रोत - वरिष्ठ भाषाविद साहित्यकार श्री भीष्म कुकरेती जी ।🙏 🙏

आलेख :विवेकानंद जखमोला 🌾 शैलेश 🌾 गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड 🙏

फोटो साभार :1)हरपाल सिंह जी।

2)श्री जगनमोहन सिंह जयाड़ा जी।