गौं गौं की लोककला

किमाणा (उखीमठ ) में स्व पंडित जगनाथ सिंह पुष्पवाण की तिबारी में काष्ठ कला -अलंकरण अंकन , नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : उपासना सेमवाल पुरोहित व डा.कैलाश पुष्पवाण

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 136

किमाणा (उखीमठ ) में स्व पंडित जगनाथ सिंह पुष्पवाण की तिबारी में काष्ठ कला -अलंकरण अंकन , नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , छाज कोटि बनाल ) काष्ठ अंकन , नक्कासी - 136

संकलन - भीष्म कुकरेती

डा कैलाश पुष्पवाण अनुसार उनका गाँव किमाण (उखीमठ , चमोली गढ़वाल ) लघु स्विट्जरलैंड है। कुमाणा संतरे व माल्टे फलों के लिए भी प्रसिद्ध है। तिबारी केदारनाथ मंदिर से संबंधित पंडित जगनाथ सिंह पुष्पवाण ने 60 साल पहले निर्मित की थी व डा कैलाश पुष्पबाण उनके पोते हैं। डा कैलाश पुष्पवाण ने इस मकान का जीर्णोद्धार किया व उसे पर्यटन केंद्र में परिवर्तित कर दिया है (होम स्टे ).

स्व पंडित जगन्नाथ सिंह पुष्पवाण के दुपुर , दुखंड (तिभित्या ) मकान /तिबारी में लकड़ी पर नक्कासी विवेचना हेतु चार मुख्य विन्दुओं पर ध्यान देना होगा -

१- तल मंजिल में दो खोलियों (प्रवेश द्वारों ) के बाहर मंडप में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन /नकासी विवेचन

२- तल मंजिल में खोलियों में काष्ठ कला , नक्कासी विवेचना

३- पहली मंजिल में काष्ठ जंगल या निमदारी में काष्ठ कला , नक्कासी विवेचन

४ - मकान के अन्य स्थलों जैसे कमरों के दरवाजों व खिड़कियों में काष्ठ कला , लकड़ी नक्कासी

१- पंडित जगन्नाथ सिंह पुष्पवाण के मकान के तल मंजिल में दो खोलियाँ हैं याने पहली मंजिल में जाने हेतु दो आंतरिक प्रवेश द्वार हैं , इन खोलियों के आगे शनदार , जानदार मनमोहक मंडप बने हैं और विवाह के वेदी का आभास भी दिलाते हैं। प्रवेश द्वार के दोनों किनारों पर चौकियां हैं व प्रत्येक चौकी के ऊपर चार चार स्तम्भ हैं। ये स्तम्भ ऊपर जाकर तोरण या मंडप से मिल जाते हैं इस तरह कुल 16 स्तम्भ हैं, प्रत्येक स्तम्भ का आधार डौळ नुमा आकार लिए है , इस डौळ नुमा आकृति के ऊपर कुम्भी आकृति है व उसके ऊपर दो लोटानुमा आकृतियां उत्कीर्ण हुयी हैं। इसके बाद स्तम्भ कम गोलई लिए कड़ी में बदलते हैं व तब ऊपर अधोगामी (उल्टा ) कमल पुष्प की आकृति अंकित हुयी , फिर ड्यूल है , ड्यूल के बाद स्तम्भ थांत (bat blade type )आकृति अख्तियार कर लेता है यहां से तीन तरफ तोरण /चाप मेहराब /आर्च निकलते हैं जो भव्य है। दोनों खोलियों के मध्य में भी ये तोरण /मेहराब है व मकान की अप्रतिम सुंदरता को बढ़ा देते हैं। किनारे के स्तम्भों के ऊपर आड़े दिशा में भी तोरण /मेहराब चाप है। स्तम्भों के मुरिड /मथिण्ड/ शीर्ष वास्तव में छज्जे का आधार है जिस पर जालीदार नक्कासी हुयी है। यह नक्कासी आँखों को आनंद देने में सक्षम है। वास्तव में ये संरचनाये (चौकी स्तम्भ व मंडप) डा कैलाश द्वारा जीर्णोद्धार या reform के बाद की है , पुरानी फोटो (जो उपसना से मिलीं थीं ) में ये संरचनाएं नहीं है। पुराने भवन के खोलियों के ऊपरी भाग में कलयुक्त ाले भी थे।

२- तल मंजिल में खोली में नक्कासी - खोली के दरवाजे के दोनों और कलयुक्त सिंगाड़ (स्तम्भ ) बिराज रहे हैं। एक एक सिंगाड़ तीन उप स्तम्भों को मिलाकर निर्मित किये गए हैं। अंदरूनी दो उप स्तम्भों के आधार पर कमल दल जैसी आकृतिया उत्कीर्ण /carved हुयी है व ऊपर वानस्पतिक कलाकृति उत्कीर्ण हुयी है। किनारे के दो स्तम्भों के ऊपरी कड़ी भाग में बेल बूटे (सर्पिल लता व पत्तियां ) अंकित हई है। ऊपर मुरिन्ड/ मथिण्ड चौखट रूप है। मुरिन्ड के केंद्र में गणेश आकृति खुदी है जो शकुन का प्रतीक है व बुरी नजर व बीमारी प्रवेश न करे का प्रतीक है।

३- पहली मंजिल में जंगलेदार /निमदारी में नक्कासी - पुष्पवाण परिवार के पुराने मकान व नवीनीकृत मकान के जंगल में अंतर् है। नवीनीकृत जंगल में छज्जे के आधार व ऊपर एक फ़ीट तक सुंदर नक्कासी हुयी है।

फिर छज्जे से 10 स्तम्भ नीचे से निकलकर ऊपर की कड़ी (छत आधार के नीचे ) से मिल जाते हैं। जंगले /निमदारी के स्तम्भों के आधार व ऊपरी भाग मोठटे हैं. मकान में स्तम्भों के मध्य भाग में दो जगह कटान से कला दर्शायी गयी है।

४- मकान के कमरों व खोलियों के दरवाजों पर ज्यामितीय कला , अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है याने ज्यामितीय नक्कासी हुयी है।

सूचना व फोटो आभार : उपासना सेमवाल पुरोहित व डा.कैलाश पुष्पवाण

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