गढ़वाली कविता

बालकृष्ण डी. ध्यानी

बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुर

नैनों कि भासा तेर

नैनों कि भासा तेर


नैनों कि भासा तेर अपरम्पार

मिथे पिरीति को पाठ पढे जा

इन अल्जीगियूं आँख्यूं मा तेर

मेर बि जीना कि उमीद बले जा


ब्य्खुनि को घाम जाणु वै छाल

वै दग्डी तेर मेर छुई लगे जा

जरासि बैठी जौला वै डाळ मोंड

हातमा हात कथा माया लगे जा


दिलमा बात धैरी जाण कख सुदी

आंखि वोंते तू मेर बात बते जा

वै घैल बाटा बैठ्यूं च मि प्यारी

हाँ बोलि कि ऐ ज्यू दबेई लगे जा


बालकृष्ण डी. ध्यानी