उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -28

उत्तराखंड परिपेक्ष में तैड़ू /रतालू का इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 4 उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --28

उत्तराखंड परिपेक्ष में तैड़ू /रतालू का इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 4

उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --28

आलेख : भीष्म कुकरेती

Botanical Name- Dioscorea belophylla, D.deltodia

Common Name- Spear Leaved yam , White Yam

Hindi name-Tarur

Sanskrit name - Shankhaluka , Varahikand

दुनिया में तैड़ू /रतालू की पैदावार सभी कंद मूल (Tubers and Bulbs ) में उत्पादन में चौथे नम्बर पर आता है।

तैड़ू /रतालू या Dioscorea की 600 species हैं।

तैड़ू /रतालू लाखों साल पहले इस धरती पर आ चुका था. कुछ वैज्ञानिक पश्चिम अफ्रिका व कुछ पूर्वी दक्षिण एसिया को तैड़ू /रतालू का जन्म स्थल मानते हैं।

पश्चिम अफ्रीका में मनुष्य 50000 BC में तैड़ू /रतालू का उपयोग करते थे।

3000 BC पहले अफ्रिका और दक्षिण एसिया में कृषिकरण शुरू हुआ और भारत में 2000 BC पहले तैड़ू /रतालू की खेती शुरू हो चुकी थी । .

उत्तराखंड में भी मानव तैड़ू /रतालू का उपयोग खाद्य पदार्थ के रूप में 2000 BC शुरू कर चुका होगा।

तैड़ू /रतालू की सैकड़ों जातियां हैं। संस्कृत या आयुर्वेद में तैड़ू /रतालू को आलूका , कास्टआलुका ,हस्त्यालुका आदि कहा गया है

संस्कृत में तैड़ू का नाम वराहकंद भी जिसका अर्थ होता है सुअर का प्रिय कंद। चरक , सुश्रुआ संहिता व कई निघण्टुओं में तैड़ू का जिक्र ही नहीं अपितु औषधि गन पर भी उल्लेख हुआ हुआ है।

उत्तराखंड में तैड़ू /रतालू जाड़ों व शिव रात्रि की एक महत्वपूर्ण सब्जी रही है किंतु उत्तराखंड में तैड़ू /रतालू की खेती नही की जाती, हाँ कहीं कहीं घर के पास कटघळ के पास तैड़ू खड्यार कर खेती होती है किन्तु मुख्यतया तैड़ू /रतालू के लिए जगंल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। उत्तराखंड में ब्रिटिश काल तक भी तैड़ू मुख्य सब्जियों में से एक सब्जी थी। तैडू का आटा भी बनाया जाता था।

गढ़वाली में रतालू का नाम तैड़ू क्यों पड़ा इस पर अभी खोज होनी बाकी है।

मेरा एक विचार है कि तैड़ू का नामकरण खस काल, महाभारत काल या प्रस्तर कुलिंद काल में होगा। शब्दांत में ड , ड़ खस या द्रविड़ भाषा का द्योतक है , तो कह सकते हैं तैड़ू महाभारत काल का शब्द है या खस कालीन शब्द है

किन्तु फिर प्रश्न उठता है कि अन्य प्राचीनतम खाद्य पदार्थों या अनाजों के खस कालीन या कुलिन्दकालीन या कैंत्युरी कालीन नाम गुम कैसे हो गए ?

उत्तराखंड में रतालू की सब्जी कई तरह से बनाई व उपयोग होता है।

छीलकर काटकर सब्जी बनाना

कंद को भड्या /भूनकर खा जाना

उबालकर छीलकर , काटकर नमक मिलाकर खा जाना

उबालकर छीलकर , काटकर सूखी सब्जी बनाना जैसे आलू के गुटके अथवा पंद्यरी / रसदार सब्जी बनाना ।

कच्चे रतालू को छीलकर थिंचोणी बनाना

अन्य सब्जियों जैसे आलू , अरवी आदि के साथ मिश्रित सब्जी

Copyright @ Bhishma Kukreti 1/10/2013