लिगुड़ा

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार है लिगुड़ा

श्रीनगर गढ़वाल: पौष्टिकता के साथ ही पहाड़ी सब्जी लिगुड़ा औषधीय गुणों से भी भरपूर है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाने में भी बहुत मददगार साबित होती है, जिससे कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में इस सब्जी का महत्व और भी बढ़ गया है।

वनस्पति जगत में लिगुड़ा सब्जी को डिपलेजियम पोलीपोडिस के नाम से जाना जाता है। गढ़वाल केंद्रीय विवि के हैप्रेक संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजयकांत पुरोहित का कहना है कि पोषक तत्वों से भरपूर लिगुड़ा सब्जी में औषधीय गुणों की भी भरमार पायी जाती है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही लिगुड़ा को हृदय रोगियों और डायबिटीज रोगियों के लिए भी रामबाण माना जाता है। इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी शून्य होती है। खांसी और सर्दी से पीड़ित मरीजों के लिए यह बहुत फायदेमंद भी होती है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजयकांत पुरोहित ने बताया कि अप्रैल माह में लिगुड़ा ऊखीमठ ब्लॉक के उसाड़ा क्षेत्र में तैयार हो जाता है, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह जून माह के अंतिम दिनों अथवा बरसात के शुरुआती दिनों में तैयार होकर बाजारों में पहुंचता है। डॉ. पुरोहित ने कहा कि लिगुड़ा सब्जी के अधिक दोहन और संरक्षण के अभाव में दिनों दिन यह कम भी होती जा रही है, जिससे इसके अस्तित्व पर भी खतरे के बाद मंडराने लगे हैं।

उत्तराखंडः खूबियों का खजाना है जंगलों में उगने वाला लिंगुड़ा


डॉ. राजेन्द्र डोभाल महानिदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्,उत्तराखंड

सब्जियां तो बहुत खायी हैं, लेकिन पहाड़ी सब्जी वो भी लिंगुड़ा, मजा ही कुछ और है। पुरातन काल से ही ऋषि मुनियों एवं पूर्वजों द्वारा पौष्टिक तथा रोगों के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार के जंगली पौधों का उपयोग किया जाता रहा है। वैसे तो बहुत सी पहाड़ी सब्जियां खायी हैं, जिनमें से लिंगुड़ा भी एक है, कुछ लोगों ने इस सब्जी का आनन्द जरूर लिया होगा। यह जंगलों में स्वतः ही उगने वाली फर्न है, जिसका उपयोग हम ज्यादा से ज्यादा सब्जी बनाने तक ही कर पाते हैं। जबकि विश्व में कई देशो में लिंगुड़ा की खेती वैज्ञानिक एवं व्यवसायिक रूप से भी की जाती है।

विश्वभर में लिंगुड़ा की लगभग 400 प्रजातियां पाई जाती हैं। लिंगुड़ा उत्तराखंड में ही नहीं अपितु एशिया , चाइना तथा जापान में भी खूब पाया जाता है। लिंगुड़ा एक फर्न है जिसका वैज्ञानिक नाम डिप्लाजियम एसकुलेंटम (Diplazium esculentum) है तथा एथाइरिएसी (Athyriaceae) फैमिली से संबंधित है। अलग-अलग जगह पर इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे निंगरू (Ningru) सिक्किम में, लिंगरी हिमाचल प्रदेश में, लिंगुड़ा उत्तराखण्ड में तथा मलेशिया में Pucuk paku एवं Dhekia नाम से भी जाना जाता है।


यह सामान्यतः नमी वाली जगह पर मार्च से जुलाई के मध्य लगभग 1900m to 2900m समुद्र तल से ऊपर की ऊचांई पर पाया जाता है। लिंगुड़े का उपयोग सामान्यतः सब्जी बनाने में ही किया जाता है मगर अन्य देशो मे लिंगुड़े को सब्जी के साथ-साथ अचार तथा सलाद के रूप में बहुत पसंद किया जाता है। कुछ प्रसिद्ध सालादों में लिंगुड़े को मुख्य घटक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस मुख्य उपयोग के साथ-साथ लिंगुड़े में उपस्थित मुख्य औषधीय तत्वों तथा प्रचुर मात्रा के मिनरल्स होने के कारण औषधीय दृष्टिकोण से भी जाना जाता है, जिसकी वजह से इसे परम्परागत रूप से विभिन्न बीमारियों के घरेलू उपचार में भी प्रयोग किया जाता है। लिंगुड़ा फिलीपिन्स के दक्षिणी द्वीप में मुख्य रूप से पाया जाता है तथा Filipino सलाद, sea food, meat का मुख्य अवयव होता है।

लिंगड़े मे कैल्शियम, पौटेशियम तथा आयरन प्रचुर मात्रा होने के कारण इसे एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत भी माना जाता है। सामान्यतः इसमें प्रोटीन 54 ग्राम, लिपिड 0.34 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 5.45 ग्राम, फाइबर 4.45 ग्राम/100 ग्राम, विटामिन C- 23.59 mg , B- Caropenoid 4.65 mg, Phenolic – 2.39 mg/100g पाया जाता है। इसके अलावा इसमें मिनरल्स Fe-38.20 mg, Zin- 4.30 mg, Cu-1.70mg, Mn-21.11, Na- 29.0, K-74.46, Ca- 52.66, Mg- 15.30mg/100g पाये जाते है। इसमें पौटेशियम और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होने के कारण इसकी भरपाई के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

मलेशिया विश्वविद्यालय के 2015 के अध्ययन के अनुसार लिंगुड़ा में सबसे अधिक Alpha- Glycosidase inhibitory का गुण होता है जिससे लिंगुड़ा मधुमेह के लिये अत्यंत लाभकारी फर्न है। अफ्रीकन जरनल ऑफ फार्मेसी 2015 में प्रकाशित लेख के अनुसार लिंगुड़ा में Flavanoids तथा Sterols की वजह से बेहतर Analgesic गुण पाए जाते है। लिंगुड़ा में Antioxidative गुण तथा Alpha-tocopherol गुण भरपूर पाए जाते है। मलेशिया जरनल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के 2011 के अध्ययन के अनुसार अगर लिंगुड़ा को Poultry Feed के साथ मिलाया जाय तो यह Poultry में सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा जनित बीमारियों को कम कर देता है। लिंगुड़ा की पत्तियों का पाउडर औद्योगिक रूप से बायोसेन्थेसिस ऑफ सिल्वर नैनो पार्टीकल्स (Ag NPs) के लिए प्रयुक्त किया जाता है क्योंकि लिंगुड़ा की पत्तियां Reductant तथा स्टेबलाइजर का कार्य करती हैं। राज्य के परिप्रेक्ष्य में अगर लिंगुड़ा की खेती वैज्ञानिक तरीके और व्यवसायिक रूप में की जाए तो यह राज्य की आर्थिकी का एक बेहतर पर्याय बन सकता है।