गौं गौं की लोककला
संकलन
भीष्म कुकरेती
ठंठोली (ढांगू ) में चंद्रशेखर कंडवाल के जंगलेदार मकान में काष्ठ कला , अलंकरण
सूचना व फोटो आभार : सतीश कुकरेती , कठूड़
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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020
उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 63
ठंठोली (ढांगू ) में चंद्रशेखर कंडवाल के जंगलेदार मकान में काष्ठ कला , अलंकरण
ठंठोली (मल्ला ढांगू ) में लोक कला (तिबारी , निमदारी , जंगला ) कला -5
ढांगू गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन कला -
गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 63
संकलन - भीष्म कुकरेती
ठंठोली एक समृद्ध कृषि प्रधान गाँव होने के अतिरिक्त ढांगू -पश्चिम उदयपुर में कर्मकांड पंडिताई , आयुर्वेद चिकत्स्कों का गाँव हेतु भी प्रसिद्ध था आयुर्वेद चिकत्सा के लिए ठंठोली अधिक प्रसिद्ध था। ऐसे में ठंठोली में नक्काशीयुक्त भवनों का पाया जाना कोई आश्चर्य नहीं।
चंद्रशेखर कंडवाल का जंगलेदार मकान भी बयां करता है कि ठंठोली कई दृष्टि से समृद्ध गाँव था व यहां काष्ठ जंगलेदार भवन निर्माण की एक परम्परा प्रचलित रही जो बीसवी सदी के अंतिम दशकों में भी बरकरार रही।
चंद्रशेखर कंडवाल के काष्ठ जंगलेदार भवन में पहली मंजिल पट लकड़ी का जंगला बंधा है जिसमे 18 स्तम्भ खड़े हैं जो लकड़ी के ही छज्जे पर टिके हैं व सीधे ऊपर छत के आधार काष्ठ पट्टिका से मिल जाते हैं। संभो के मध्य नीचे दो ढाई फिट ऊंची लौह जाली बिठई गयी है जो भव्यता प्रदान करने में सफल है।
स्तम्भ सीधे सपाट ज्यामिति शैली में निर्मित हैं व कहीं भी कोई प्रांकृतिक या मानवीय चित्र अंकन नहीं मिलता है। जंगले पर कोई इंच भर भी नक्कासी न होना द्योत्तक है कि जंगलेदार भवन 1960-65 के आस पास या ततपश्चात ही निर्मित हुआ होगा। इसमें संशय न होगा कि बढ़ई व ओड ठंठोली या निकटवर्ती गाँव के ही रहे होंगे।
एक सूचना अनुसार यह जंगला स्व गिरिजा दत्त कंडवाल ने निर्मित करवाई थी व भवन निर्माण ठेकेदार घना नन्द (ठंठोली ) के थे .
निष्कर्ष निकलता है कि बीसवीं सदी के अंतिम वर्षों में निर्मित चंद्रशेखर कंडवाल के जंगलेदार भवन में केवल ज्यामितीय कला / अलकनकरण है. दस कमरों के भवन ने इस जंगल को शानदार छवि दी है।
सूचना व फोटो आभार : सतीश कुकरेती , कठूड़
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020