गौं गौं की लोककला

संकलन

भीष्म कुकरेती

पुरणकोट (शीला पट्टी ) में भवन काष्ठ कला - 1

सूचना व फोटो आभार : मदन मोहन , गौळा

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 35

पुरणकोट (शीला पट्टी ) में नारायण दत्त कोटनाला 'पटवारी जी ' के जंगलेदार मकान में काष्ठा कला

पुरणकोट (शीला पट्टी ) में भवन काष्ठ कला - 1

शीला पट्टी संदर्भ में , गढवाल हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों पर काष्ठ अंकन कला - 1

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 35

संकलन - भीष्म कुकरेती

पुरणकोट शीला पट्टी का एक महत्वपूर्ण व भूतकाल में कृषि दृष्टि से उर्बरक गाँव माना जाता था व समृद्ध गाँव था। निकटवर्ती गाँवों में दू ण -चंडा आदि गाँव हैं। पुरणकोट से चार पांच उच्च कोटि की तिबारियों व निमदारियों की सूचना मिली है। तिबारियों में कला उत्कृष्ट श्रेणी की है

पुरणकोट में तिबारी के बाहर जंगला लगाने का भी प्रचलन था। नारायण दत्त कोटनाला 'पटवारी जी ' का जंगलेदार मकान कभी क्षेत्र में बड़ा प्रसिद्ध था और'पटवरि जी क जंगला ' नाम से शीला पट्टी में प्रसिद्ध था।

मदन मोहन की सूचना अनुसार नारायण दत्त का जंगलेदार मकान का निर्माण 1940 -1945 में हुआ होगा। वास्तव में यही काल था जब दक्षिण पौड़ी गढ़वाल में इस प्रकार के जंगलेदार मकान निर्माण में वृद्धि या बहुत प्रचलन हुआ था। अधिकतर जंगलेदार मकान के निर्माता सरकारी मुलाजिम थे व मैदान व ब्रिटिश वास्तु शैली से प्रभावित थे या तिबारी निर्मण हेतु काष्ठ कलाकार क्षेत्र में न मिलते रहे होंगे तो जंगलेदार मकानों का प्रचलन बढ़ा।

नारायण दत्त कोटनाला 'पटवारी जी ' जंगलेदार मकान तिभित्या (तीन दीवार याने एक कमरा अंदर व एक कमरा बाहर ) है व पहली मंजिल पर दो बैठक/बरामदा (डंड्यळ या यहां पर काष्टयुक्त तिबारी ) हैं दोनों डंड्य ळ /तिबारी /बैठक में आने हेतु एक ही प्रवेश द्वार (खोळी ) है। तल मंजिल में बाह्य कमरों को बंद न कर बरामदा निर्मित हुआ है और ऊपर बरामद को तिबारी /डंड्यळ में तब्दील किया गया है। याने पहले मंजिल पर तिबारी /डंड्यळ को जंगलेदार कृति से आच्छादित कर दिया गया है। यही कारण है तिबारी /डंड्यळ में चार स्तम्भों की कृति पर कोई विशेष स्तम्भीय या तिबारीय कला नहीं उत्कीर्ण हुयी है और जंगल से ढका गया है।

पहली मंजिल मिटटी -पत्थर के पललर पर खड़ा है व काष्ठ छज्जा दास (टोढ़ी ) व दो आयताकार (rectangular ) काष्ठ पट्टी के ऊपर टिका है। छज्जा आधार की ऊपरी पट्टी या पटला पर दस काष्ठ स्तम्भ हैं जो ऊपर छत के आधार पट्टिका से मिलते हैं स्तम्भ शीर्ष में भी छत के नीचे दो काष्ट पट्टियां हैं।

प्रत्येक स्तम्भ सीधा ही है व आधार या अन्य भागों में पर कोई उल्लेखनीय कला दर्श नहीं होते हैं। स्तम्भ आधार पर दोनों और से दो फिट ऊँची पट्टिका चिपकायी गयी है जो स्तम्भ को कलापूर्ण छवि प्रदान करती हैं। दो फिट ऊपर दो स्तम्भों को काष्ठ पट्टिका से जोड़ा गया है व फिर लौह जाली से जंगल सजाया गया है।

पूरे मकान के अधिन से कहा जा सकता है कि पुरणकोट में नारायण दत्त कोटनाला 'पटवारी जी ' के मकान में डंड्यळ /तिबारी /बैठक के चार स्तम्भों में व जंगले के स्तम्भों व जंगले के स्तम्भ आधार पर कोई प्राकृतिक व मानवीय कला नहीं है (no natural or figurative motifs ) केवल ज्यामितीय कला के ही दर्शन होते हैं।

सूचना व फोटो आभार : मदन मोहन , गौळा

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020