गौं गौं की लोककला

किमसार (यमकेश्वर ) में जय कृष्ण कंडवाल की निमदारी में काष्ठ कला , लकड़ी पर नक्श फन , नक्कासी

सूचना व फोटो आभार :साधना कंडवाल, विकास बडोला

Copyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 144

किमसार (यमकेश्वर ) में जय कृष्ण कंडवाल की निमदारी में काष्ठ कला , लकड़ी पर नक्श फन , नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , बखाई , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 144

संकलन -भीष्म कुकरेती

जैसे कि पहले कई अध्याओं में बताया गया है कि किमसार (यमकेश्वर ,पौड़ी गढ़वाल ) एक पुराना स्थल है व यहाँ कई तिबारियां व निमदारियां , जंगलेदार मकान थे। आज किमसार के जय कृष्ण कंडवाल के भव्य निमदारी में लकड़ी पर नक्कासी की चर्चा होगी।

मकान दुखंड/ तिभित्या एवं ढैपुर (तल मंजिल + पहली मंजिल + आधा मंजिल ) शैली का है। मकान वर्तमान में ही बना है।

किमसार में जय कृष्ण कंडवाल की निमदारी /जंगला पहली मंजिल पर छज्जे पर टिका है। छज्जा व निमदारी का मुरिन्ड /ऊपरी भाग लकड़ी के ही हैं। निमदारी में सामने की ओर कुल 14 स्तम्भ हैं व लकड़ी के छज्जे पर टिके है व ऊपर काष्ठ

मुरिन्ड /शीर्ष से मिलते हैं। स्तम्भों के आधार पर दोनों ओर पट्टिकाएं लगी हैं जिससे स्तम्भ की मोटाई बढ़ा हुआ आभास होता है। इसके बाद चौकोर स्तम्भों की मोटाई समान है। शीर्ष में कुछ कटान है बस। मुरिन्ड की कड़ियों व पटलों में ज्यामितीय अलंकरण कलाके अतिरक्त कोई अन्य अलंकरण नहीं हुआ है। स्तम्भों के आधार में स्तम्भों को लकड़ी की कड़ी से जोड़ा गया है जिसके नीचे धातु रेलिंग /जंगला बंधा है।

निष्कर्ष निकलता है कि किमसार में जय कृष्ण मकान बड़ा है व खूबसूरत है व सुंदरता की दृष्टि से उच्च श्रेणी में आता है। मकान में केवल ज्यामितीय कटान हुआ है प्राकृतिक या मानवीय अथवा रुहानी नक्कासी जय कृष्ण कंडवाल के मकान में नहीं दीखते हैं।

सूचना व फोटो आभार :साधना कंडवाल, विकास बडोला

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020