बारामास

''''छिटगा''''


(१) अफि ठाड़ा तिरछा ह्वेकि

सज लीणा लोग ।

दुबगल्या छूयूँमा बौळेकि

बिरणि मौ मार करणा लोग ।।


(२) दलेदर बिटोलिक लोगबाग

छपछिपी गिच्ची हलकंदि ।

कुंगला बंगत्यड़ा आड़ा ब्याड़ा

जिकुड़ौ चिरखा कैकि

मळ मळ आंखा मळकंदि ।।


(३) अचगाळ जैकि मवसि फुकाणे

वे जनै गुरौ सि मुख घालि द्या ।

मतलबा दगडु कदि घड़ैक लोग

बादम दूधमा कु सि माखू निकाळ द्या ।।


(४) स्वीणा पिरोळि जिकुड़ि खरोळि

अपड़ों तैं ठगाणा लोग ।

हंकार बिटोलि स्वारथ टटोळि

गुरौ सि तड़काणा लोग ।।


(५) पैलि गिच्चू अपड़ छाळ द्या

दगड़म द्वि असिस्टेंट पाळ द्या ।

जो तुमतैं कुछ चितांदु नी

वेकि निंद बिजाळ द्या ।।


(६) अफखुणि टीपण टापण धना लोग

लद्वड़ि भ्वरिं छन पर म्वना लोग ।

ये जमन दुख बिमर्युं की उतगा ड़ैर नी च

जतगा बगत कुबगत खुंच्या मना लोग ।।


(७) जबरि बटि जिकुड़ि अळ्ज पळ्ज ह्वेगे

समझा तबरि बटिआदिम आदिम नि रैगे ।

दुन्यम खैंचाताणि बारामास चलनि यळि रालि

जैकि समझ मा ऐगे वी आदिम ह्वेगे ।।