गौं गौं की लोककला

पुजालटी (जौनपुर , टिहरी ) में राम लाल गौड़ की भव्य तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : प्रसिद्ध नाट्य शिल्पी डा राकेश भट्ट

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 148

कंडारगढ़ी (चंद्रपुरी ) में महेशानंद गैरोला की तिबारी स्तम्भों/सिंगाड़ों में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , छाज कोटि बनाल ) काष्ठ अंकन , नक्कासी - 148

संकलन - भीष्म कुकरेती

रुद्रप्रयाग गढ़वाल क्षेत्र में तिबारियों के लिए सबसे समृद्ध क्षेत्र है. इस क्षेत्र में तिबारी को तिबार नाम से पुकारा जाता है। प्रसिद्ध नाट्य शिल्पी डा राकेश भट्ट ने रुद्रप्रयाग की कुछ तिबारियों व मंदिरों की सूचना भेजी हैं जो काष्ठ कला हेतु नायब उदाहरण हैं। आज इसी क्रम में कंडारागढी ( कंडारा।, चंद्रपुरी , ुख्यमठ ब्लॉक ) रुद्रप्रायग में महेशानंद गैरोला की तिबारी के स्तम्भों में काष्ठ कला अंकन की चर्चा होगी व विवेचना की जाएगी कि किस प्रकार का अलंकरण इन स्तम्भों में है।

कंडारागढ़ी (चंद्रपुरी , कंडारा , उखीमठ ) में महेशानंद गैरोला की तिबारी मकान के पहली मंजिल में स्थित है व लकड़ी के छज्जे /स्लीपर में टिके हैं। संरचना बताती है कि तिबारी में नक्कासीदार चार स्तम्भ /सिंगाड़ (Column ) हैं जो तीन खोली /ख्वाळ /द्वार बनाते हैं। स्तम्भ छज्जे के ऊपर पत्थर के चौकोर डौळ ऊपर स्थित हैं जहां पर अधोगामी पद्म पुष्प दल (उल्टा कमल पुष्प ) आधार पर कुम्भी ( घड़ा या पथोड़ /दबल आकर ) आकृति बनता है। कुम्भी /पथोड़ /पथ्वड़ के ऊपर लकड़ी का ड्यूल ( Wood Ring plate ) है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी कमल दल है जहां पर यह आकार समाप्त होता है , स्तम्भ /सिंगाड़ की गोलई कम होती जाती है। व शाफ़्ट कड़ी बनता जाता है (shaft of Column ) जहां पर सिंगाड़ /स्तम्भ की सबसे कम गोलाई है वहां पर उल्टा कमल दल है जिसके ऊपर ड्यूल है व फिर सीधा खिला कमल फूल है . कमल पंखुड़ियों (पद्म पुष्प दल ) में व कड़ी में पत्तीदार (जैसे फर्न पत्तियां हों ) . फर्न पत्ती अंकन बड़ी बारीकी से हुआ हाइवा कलाकार की प्रशंसा आवश्यक हो जाती है। खान पर ऊपरी कमल दल की पंखुडिया खिली हैं वहां से ऊपर की ओर सिंगाड़ थांत (bat blade type ) में बदल जाता है व यह थांत मुरिन्ड /शीर्ष / abacus से मिलता है। यहीं से स्तम्भ / सिंगाड़ से मेहराब की छाप भी निकलती हैं व दूसरे स्तम्भ की चाप से मिलकर पोर्न मेहराब बनता है। मेहराब की आंतरिक पटल के छापें नुकीले हैं। थांत व मेहराब में फर्न पत्तियों का अंकन हुआ है। थांत में ज्यामितीय कला का भी अंकन हुआ है।

पहली मंजिल क इक कमरे के दरवाजों के सिंगाड़ों में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकारों का अंकन हुआ है।

निष्कर्ष निकलता है कि कंडारागढ़ी ( कंडारा , चंद्रपुरी ) में महेशानंदगैरोला की तिबारी स्तम्भों/सिंगाड़ों की जो भी कसूचना मिली है उनमे प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकराओं का अंकन ं प्रभावशाली ढंग से हुआ है।

सूचना व फोटो आभार : प्रसिद्ध नाट्य शिल्पी डा राकेश भट्ट ,

* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी . मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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