गौं गौं की लोककला

धानचूली के एक मकान में काष्ठ कला , अलंकरण , लकड़ी नक्काशी

सूचना व फोटो आभार : मुक्ता नाइक

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 222

धानचूली के एक मकान में काष्ठ कला , अलंकरण , लकड़ी नक्काशी

कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन ( बाखली , तिबारी , निमदारी , जंगलादार मकान , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी -222

संकलन - भीष्म कुकरेती

धानचूली गाँव (धारी तहसील नैनीताल , कुमाऊं ) अभी पर्यटन लिआज से कम प्रसिद्ध क्षेत्र है किंतु अब यह क्षेत्र पर्यटन क्षेत्र में अपने पांव पसार रहा है . इस क्षेत्र से कई ध्वस्त किन्तु काष्ठ कला दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं . इसी क्रम में एक कम ध्वस्त मकान में काष्ठ कला , अलंकारण की चर्चा की जायेगी

मकान दुपुर (तल मंजिल व पहली मंजिल ) व दुघर (एक कमरा आगे व एक कमरा पीछे ) शैली का है . यह तल मंजिल के बड़े बड़े द्वार हैं व द्वार के उपर आकर्षक मुरिंड हैं . .

तल मंजिल में प्रत्येक बड़े द्वार के उपर चौकोर मुरिंड में आकर्षक कला अलंकरण अंकित हुआ है . मुरिन्ड के नीचे द्वार में मेहराब के अंग अभी भी विद्यमान हैं। मुरिंड चौकोर है व आयताकार लकड़ी के स्लीपर जैसे लगता है . फिर अंदर की ओर आयत के लम्बाई वाले उपर नीचे हिस्से (parallel to earth ) में मोटे/// कटान की नक्काशी हुयी है व आड़े (vertical ) में त्रिभुज आकार की नक्काशी हुयी . इस मोटे स्लीपरनुमा काष्ठ पटिले में मध्य आयत में .S आकार में पर्ण -लता का अंकन हुआ है। कहा जा सकता है तल मंजिल के बड़े द्वार के ऊपर मुरिन्ड चौखट में प्रत्येक स्तर पर मनोहारी सुंदर कला अंकन हुआ है।

तल मंजिल के दोनों द्वारों के मुरिन्ड के ऊपर एक एक छाज (झरोखा ) स्थापित हैं। दोनों लकड़ी के झरोखे एक दूसरे के आइना आकृति नकल है याने दोनों छाज (झरोखे) एक समान हैं।

दोनों छाज (झरोखे ) में दो ढुड्यार ( बाहर झाँकने के लिए बड़े छेद ) हैं व दोनों छाज ढुड्यारों के बीच व किनारे पर मुख्य स्तम्भ हैं जो उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं।

ढुड्यार (झरोखे का छेद ) के नीचे का भाग नक्काशी युक्त पटिले (लकड़ी का तख्ता रूप जैसे ) से ढके हैं व ऊपर कुछ कुछ अंडाकार ढुड्यार खुला है। छाज के किनारे उप स्तम्भ में कुछ अलग कलाकारी अंकित हूई व बाकी उप स्तम्भों में कुछ अलग

किनारे के उप स्तम्भ

किनारे के उप स्तम्भ का आधार बोतल नुमा है जिसके ऊपर उलटा कमल फूल है जिसके ऊपर सीधा खिला कमल दल है। इसके ऊपर स्तम्भ म ीक बड़ी लता व उससे लगे पत्तियों के आकृति अंकित हैं। इस स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड (शीर्ष या मुंड ) का ऊपरी स्तर बनाते हैं। इस तरह कुल तीन उप स्तम्भ हैं। दूसरे प्रकार के अंदर के उप स्तम्भ में आधार के कुछ ऊपर उल्टा कमल दल हैं जिस पर पत्तियों की सुंदर नक्काशी हुयी है। इसके ऊपर बारीक ड्यूल है फिर ऊपर बड़े बड़े दलों वाला उल्टा कमल दल अंकन है। फिर ड्यूल है जिसके ऊपर सीधे कमल दल कुम्भी नुमा आकृति बनाते हैं. कमल दलों के ऊपर पर्ण /पत्तियों की नक्काशी हुई है। । इस कुम्भी के ऊपर ड्यूल है , ड्यूल छल्ले नुमा आकृति लिए हुए जिसके छोटे छोटे आयताकार भाग हैं। ड्यूल के ऊपर पत्तियों से नक्काशीदार युक्त कमल पंखुड़ियां है जो बड़ी कुम्भी बने हैं। कमल दल के ऊपर स्तम्भ लौकी आकार लेकर ऊपर बढ़ता है। इस दौरान स्तम्भ के कड़ी में उभर व गड्ढे (flute -flitted ) का अंकन हुआ है। जहां पर उप स्तम्भ की मोटाई कम है वहां उल्टा कमल दल अंकन हुआ है जिसके ऊपर बारीक ड्यूल है जिसके ऊपर बड़ा कड़ा नुमा छल्ला अंकन (ड्यूल ) है व उसके ऊपर नक्काशीदार फूल दल फूल है जिसके ऊपर चौखट नुमा डब्बा नुमा आकृति अंकित है जिसके ऊपर उल्टा कमल है व कमल दल में पत्तियों का उत्कीर्णन हुआ है इस उलटे कमल दल के ऊपर पत्तियों से बना धगुल आकृति है जिसके ऊपर हृदय नीमा आकृति खड़ी है जिसके अंदर पत्तियों की कलाकृति दिखती है। यहाँ से उप स्तम्भ मुरिन्ड (शीर्ष ) का स्तर बनना शुरू होता है। मुरिन्ड के स्तर में कई प्रकार की नक्काशी हुयी है। मुरिन्ड (शीर्ष ) के स्तरों में फूल खुदे हैं लताएं अंकित है व शंकु नुमाकृतियाँ भी खुदी है तथा स्पाइरल लताओं का। अंकन भी हुआ है। अंकन शैली जटिल है व् असंभ्वतया अवधी नबाब शैली या रोहिला शैली से प्रभावित हैं।

ढुड्यार ( छाज या झरोखे का छेद वाला भाग ) के ऊपरी भाग में मेहराब हैं व मेहराबों में बड़ी आकर्षक किन्तु जटिल अंकन हुआ है जो फिर से अवध या रोहिला काष्ठ अंकन से प्रभावित लगते हैं अथवा मुगल शैली से प्रभावित हैं।

निष्कर्ष निकलता है कि धानचूली के इस ध्वस्त मकान में ज्यामितीय , प्राकृतिक कला अलंकरण हुआ है मानवीय अलंकरण देखने को नहीं मिला। इस लेखक का अनुमान है कि कला अंकन अवध या रोहिला कला अंकन से अवश्य प्रभावित है।

सूचना व फोटो आभार : मुक्ता नाइक

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020