गौं गौं की लोककला

बड़कोट , जौनपुर (टिहरी ) में मन्नु भाई जौनपुरी की भव्यतर जौंळ्या (जुड़वां ) तिबारी में काष्ठ कला , अलकंरण , अंकन , लकड़ी नक्काशी

सूचना व फोटो आभार : जगमोहन सिंह जयाड़ा

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 218

बड़कोट , जौनपुर (टिहरी ) में मन्नु भाई जौनपुरी की भव्यतर जौंळ्या (जुड़वां ) तिबारी में काष्ठ कला , अलकंरण , अंकन , लकड़ी नक्काशी

गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला , अलकंरण , अंकन , लकड़ी नक्काशी - 218

संकलन - भीष्म कुकरेती

जौनसार , रवाईं से कोटि बनाल युक्त मकानों व जौनपुर से तिबारियों की अच्छी संख्या में सूचना मिली है। आज बड़कोट , जौनपुर में मन्नु भाई जौनपुरी के मकान व जौंळ्या (जुड़वां ) तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण पर चर्चा होगी।

बडकोट के मन्नू भाई याने प्रसिद्ध गीतकार मनोज गौड़ .

बड़कोट , जौनपुर के मन्नु भाई जौनपुरी का दुपुर , दुघर मकान हर तरह से भव्य है बड़ा तो है ही दो सात खम्या (7 स्तम्भ ) छ ख्वळ्या (6 ख्वाळ ) तिबारियां होने मकान भव्यतर मकानों की श्रेणी में अपने आप आ जाता है। ऐसा लगता है बल बड़कोट , जौनपुर (टिहरी ) में मन्नु भाई जौनपुरी के मकान की मरोम्मत करते समय कुछ फेर बद्द्ल हुआ है। अनुमान लगाना सरल है बल बड़कोट , जौनपुर (टिहरी ) में मन्नु भाई जौनपुरी के मकान की खोली पहले तल मंजिल से पहली मंजिल तक थी किन्तु जीर्णोद्धार समय तल मंजिल की खोली बंद क्र दी गयी है व अब बाह्य सीढ़ियों से ऊपर आया जाया जाता है।

बड़कोट , जौनपुर (टिहरी ) में मन्नु भाई जौनपुरी के मकान में काष्ठ कला अथवा लकड़ी नक्काशी समझने हेतु दो मुख्य केंद्रों पर ध्यान देना होगा - खोळी व तिबारियां व खड़िकियाँ /मोरी आदि।

बड़कोट , जौनपुर (टिहरी ) में मन्नु भाई जौनपुरी के मकान की खोळी के दोनों मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं और इनमे प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। मकान की खोळी चौकोर व बिन मेहराब के है। मुरिन्ड की कड़ियों में वनस्पति कला अंकन हुआ है। मुरिन्ड के मध्य देव आकृति स्थित है।

बड़कोट , जौनपुर (टिहरी ) में मन्नु भाई जौनपुरी के मकान में पहली मंजिल की खिड़कियों (बड़ी हैं याने जीर्णोद्धार समय निर्मित हुयी हैं ) के स्तम्भ जोड़ीदार हैं व खिड़कियों के मुरिन्ड के ऊपर मेहराब हैं व मेहराब के मध्य में फूल आकृति स्थिर है। खिड़की के ऊपर मेहराब हैं हैं जो ब्रिटिश शैली से ही प्रभावित हैं।

बड़कोट , जौनपुर (टिहरी ) में मन्नु भाई जौनपुरी के मकान की प्रत्येक तिबारी वास्तव में आइना छाया जैसे सामान आकर व आकृति की हैं। प्रत्येक तिबारी में सात सिंगाड़ (स्तम्भ ) हैं जो छह ख्वाळ /द्वार बनाते हैं। प्रत्येक स्तम्भ पत्थर के छज्जे के ऊपर देळी /देहरी के ऊपर टिके हैं। प्रत्येक स्तम्भ का आधार की कुम्भी उल्टा कमल फूल से बना है जिसके ऊपर ड्यूल है, ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है व यहीं से स्तम्भ लौकी आकृति लेकर ऊपर बढ़ता है व जहां सबसे कम मोटा होता है वहां उल्टा कमल दल है जिसके ऊपर ड्यूल है व उसके ऊपर सीधा कमल दल है। यहां से स्तम्भ एक ओर थांत रूप धर सीधा ऊपर जाता है। थांत ऊपर चौखट रूपी मुरिन्ड से मिलता है। जहां से थांत शुरू होता है वहीं से मेहराब का अर्ध शुरू होता है जो सामने वाले स्तम्भ के अर्द्ध चाप से मिल पूर्ण मेहराब बनाता है। मेहराब के ऊपर के प्रत्येक त्रिभुज (स्कंध ) में एक एक फूल अंकित है व बेलबूटों का अंकन हुआ है। चौखट रूपी मुरिन्ड की कड़ियों में प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है।

बड़कोट , जौनपुर (टिहरी ) में मन्नु भाई जौनपुरी के मकान की तिबारियों में पशु चित्र अंकन नहीं दिखा।

निष्कर्ष निकलता है बल बड़कोट , जौनपुर (टिहरी ) में मन्नु भाई जौनपुरी के जुड़वाँ तिबारी वाले मकान में भव्य काष्ठ कला के दर्शन होते हैं जिनमे ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय (देव आकृति ) अलंकरण अंकन हुआ है।

सूचना व फोटो आभार : जगमोहन सिंह जयाड़ा

यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों के नामों में त्रुटी संभव है I

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