गौं गौं की लोककला

नावदा (देहरादून ) में पुराणी धर्मशाला की निमदारी में काष्ठ कला अलंकरण , नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : विजय भट्ट (भारत ज्ञान विज्ञान समिति )

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 147

नावदा (देहरादून ) में पुराणी धर्मशाला की निमदारी में काष्ठ कला अलंकरण , नक्कासी

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार , बखाली , कोटि बनाल , खोली , मोरी ) में काष्ठ अंकन लोक कला अलंकरण, नक्कासी - 147

Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Dehradun , Garhwal , Uttarakhand , Himalaya -

संकलन - भीष्म कुकरेती

जब यह लेखक पहले पहल 1965 में देहरादून गया तो निमदारी जैसे वाली शैली शायद भोगपुर , डोईवाला अदि में देखा होगा। देहरादून शहर में निमदारी या जंगलेदार शैली के मकान निर्मित होने बंद हो गए थे। फेसबुक मित्र विजय भट्ट ने नवादा गांव के अतीत इतिहास साथ यह फोटो भेजी। विजय भट्ट अनुसार नवादा बहुत पुराना गाँव है व गाँव का संबंध रानी कर्णावती (नाक कटी , )से है , . कभी नवादा 1750 - 80 तक देहरादून का मुख्यलय भी था। नवादा में . यहां एक प्राचीन शिव मंदिर भी है जिसकेलिए यह धर्मशाला बनी थी आज तकरीबन उजाड़ ही है।

धर्मशाला की संरचना देखते कहा जा सकता है धर्मशाला का यह भवन /निमदारी 1955 -60 के मध्य ही निर्मित हुआ होगा जब तक देहरादून वासियों पर गढ़वाल स्थापीय शैली का प्रभाव रहा होगा। मकान कंक्रीट का है ,

छत चद्दर की है व आधुनिक है बस निमदारी संरचना पर पर गढ़वाली प्रभाव है। पहली मंजिल पर निम दारी स्थापित है। निमदारी में छह स्तम्भ है व कंक्रीट की छोटी दीवार पर आधारित एक कड़ी पर टिके हैं। स्तम्भ सपाट हैं। व ऊपर मुरिन्ड की कड़ी भी कला दृष्टि से सपाट है। भवन में कमरों के ध्वजों , खड़कियों के दरवाजों पर ज्यामितीय खुदाई ही हुयी है। , कोई बेल बूटों , पशु पक्षियों की कोई नकासी प्रस्तुत नवादा की धर्मशाला में नहीं मिली।

नवादा मंदिर धर्मशाला का यह भवन वास्तव में देरादून वाश्तु शैली परिवर्तन का गवाह है व आगे आने वाले दिनों में जब देहरादून के वास्तु /स्थाप्य इतिहास लिखा जायेगा तो अवश्य ही नवादा धर्मशाला की निम दारी कड़ी साबित होगी।

सूचना व फोटो आभार : विजय भट्ट (भारत ज्ञान विज्ञान समिति )

यह लेख कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी ,. सूचनाये श्रुति माध्यम से मिलती हैं अत: मिल्कियत सूचना में व असलियत में अंतर हो सकता है जिसके लिए संकलन कर्ता व सूचनादाता उत्तरदायी नही हैं .

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