रामदा में राम सिंह रुदियाल की तिबारी, द्वार, खोळी में काष्ठ कला अलंकरण -2
चमोली , गढ़वाल में तिबारी , निमदारी , जंगलेदार मकानों में काष्ठ कला , अलंकरण - 2
गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला अलंकरण - 74
संकलन - भीष्म कुकरेती
रामदा तल्ला के राम सिंह रुदियाल की तिबारी पौड़ी गढ़वाल की तिबारियों व उत्तरी गढ़वाल (चमोली , रुद्रप्रयाग ) की आम तिबारियों व खोली से अलग है। रामदा तल्ला के नरेंद्र प्रसाद बरमोला की सूचना व तीन तिबारियों की फोटो व सूचना देते समय यह भी सूचना दी कि रामदा में 1920 के लगभग पटरी बलबीर सिंह नेगी ने ऐसी तिबारी निर्मित की थी। बलबीर सिंह नेगी बैजरों में पटवारी थे तो बैजरों से जतैन ओड व बढ़ई को रामदा लेकर आये थे। सूचना यह भी है कि तूण की लकड़ी भी बूंगीधार बैजरों से लाया गया था। अनुमान लगता है कि यह कला शैली इस तरह लोहाबा मंडल में पैठ बना चुकी है तभी राम सिंह रुदियाल के इस मकान जो 1964 लगभग में निर्मित हुआ में यही कला शैली दिखाई दे रही है।
राम सिंह रुदियाल की तिबारी भी पहली मंजिल पर हैं। तिबारी के दरवाजे में अनुपम शैली की कला दृष्टिगोचर होती है। दरवाजों में तीन जटिल स्तम्भ है । मध्य स्तम्भ तीन स्तम्भों /सिंगाड़ से बना है व किनारे के स्तम्भ दो स्तम्भों से बने (कुल 7 स्तम्भ व दो मोरी या द्वार ) हैं। प्रत्येक स्तम्भ पत्थर के बड़े डौळ में आधारित है। कुम्भी अधोगामी कमल दल से बना है , कुम्भी के ऊपर बड़ा अलंकृत डीला (big carved artful round wooden plate ) है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी कमल दल है फिर कमल दल से जायमितीय कला युक्त कड़ी शुरू होती है जो वहां जा कर लगती हैं जहां से अधोगामी कमल दल है व फिर अलंकृत डीला है। डीले सर अर्ध मडल पट्टिका शुरू होता है जो दुसरे स्तम्भ की अर्ध मंडल / half arch से मिलकर पूरा तोरण , मेहराब या arch बनाते हैं। मेहरानब की कटान शैली भी चमोली , रुद्रप्रयाग या पौड़ी गढ़वाल की तोरण कटान से कुछ भिन्न हैं। अर्ध मंडल arch का एक भाग एक स्तम्भ में लम्बा है किन्तु सामने के दूसरे स्तम्भ में आधा ही है
स्तम्भ पर ऊपरी डीले के बाद उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है जिसके ऊपर सीधी पट्टिकाएं है जो चौकोर मुरिन्ड /शीर्ष पट्टिका से मिलते हैं या कह सकते हैं कि मुरिन्ड में सात समांतर पट्टिकाएं हैं। मुरिन्ड की ऊपरी पट्टिका छत की आधारिक दीवाल या पट्टिका से मिल जाती है।
तिबारी में दो हो दरवाजा युक्त द्वार हैं। दोनों द्वार के दरवाजों पर दो प्रकार की नयनभिराम ज्यामितीय कला उत्कीर्ण हुयी है।
तिबारी के नीचे एक कमरे का द्वार है व दोनों दरवाजों पर त्रिभुजकर ज्यामितीय अलंकरण के दर्शन होते हैं। तिबारी व तल मंजिल के द्वार में की भी मानवीय (figurative ornamentation या मनुष्य , पशु पक्षी या धार्मिक प्रतीक नहीं उत्कीर्ण हुए हैं
पिछले भाग गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला अलंकरण - 73 , में एक खौली की कला समीक्षा हुयी थी। राम सिंह रुदियाल की एक और खोळी की फोटो व सूचना मिली है जो भाग 73 की खोली के समान ही है किन्तु इस खोळी में छपरिका /छत्तिका के नीचे अलंकृत ब्रैकेट दिवालगीर के स्थान पर सादे दिवालगीर ब्रैकेट हैं।
जैसा की पिछले भाग (74 ) में सूचना दे चुके हैं कि लोहाबा के प्रसिद्ध मिस्त्रियों चंदी राम व लूथा राम मुख्य काष्ठ उत्कीर्णन कला विद ने तिबारी निर्मित की थी ।
सूचना व फोटो आभार : हिमालय नव संचार व सहायक सूचना- नरेंद्र प्रसाद बरमोला
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