म्यारा डांडा-कांठा की कविता
आपक स्यवा मा अखण्याणु छौं -
आपक स्यवा मा अखण्याणु छौं -
आपक स्यवा मा अखण्याणु छौं -
आपक स्यवा मा अखण्याणु छौं -
बल
बल
आंखा नि रुंदा जिकुड़ि भि रुंद ।
आंखा नि रुंदा जिकुड़ि भि रुंद ।
आंखा नि चूँदा जिकुड़ि भि चूँद ।।
आंखा नि चूँदा जिकुड़ि भि चूँद ।।
पर
पर
भग्यनि जो तु इतगै भलि हूंदि ।
भग्यनि जो तु इतगै भलि हूंदि ।
त इतरजुग तेरी इतगा छ्वीं किलै हूंदि ..?
त इतरजुग तेरी इतगा छ्वीं किलै हूंदि ..?
✒ लिख्वार-
✒ लिख्वार-
©® ✒ वीरेंद्र जुयाल उपरि
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फरसाडी पलतीर क्लब
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22/05/020.
22/05/020.