रस्किन बॉंड

प्रथम 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' प्राप्तकर्ता – रस्किन बॉंड

रस्किन बॉण्ड अंग्रेजी भाषा के एक प्रसिद्ध भारतीय लेखक हैं। वे अग्रेज़ी मूल के लेखक हैं। साल 1999 में भारत सरकार ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया। उनकी रचना 'फ्लाइट ऑफ़ पिजन्स' और 'एंग्री रिवर' नामक कई उपन्यास पर फ़िल्म का रूप ले चुकी हैं।

(जन्म 19 मई 1934) अंग्रेजी भाषा के एक विश्वप्रसिद्ध भारतीय लेखक हैं।[

इनका जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली के एक फ़ौजी अस्पताल में हुआ था।वे अब्रे बॉण्ड और एरिथ क्लार्के के पुत्र हैं। बचपन में ही इनके पिता की मृत्यु मलेरिया से हो गई थी, तत्पश्चात इनकी परवरिश शिमला, जामनगर, मसूरी, देहरादून तथा लंडन में हुई। आज-कल वे अपने परिवार के साथ देहरादून जिला में रहते है। वे अग्रेज़ी मूल के लेखक हैं। उन्होने बिशप कॉटन नामक धर्मशाला में अभ्यास किया। उनकी बहन का नाम इलन बॉण्ड और भाई का नाम विल्यम बॉण्ड है।

  • 1999 में भारत सरकार ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया।
  • 2014 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • अॅवर ट्रीज़ स्टिल ग्रो इन देहरा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार।

उनकी रचना 'फ्लाइट ऑफ़ पिजन्स' (कबूतरों की उडान) और 'एंग्री रिवर' (अप्रसन्न नदी) नामक कई उपन्यास पर फ़िल्म का रूप ले चुकी हैं। फिल्म अभिनेता/निर्माता शशि कपूर और निर्देशक श्याम बेनेगल ने 80 के दशक में 'फ्लाइन ऑफ़ पिजन्स' पर ही 'जुनून' नाम से एतिहासिक-प्रेम आधारित फिल्म बनाई गई। [4] भारतीय फिल्म निर्देशक/निर्माता विशाल भारद्वाज ने उनकी रचना 'सुज़ैन सेवेन हसबैंड' पर ' ७ खून माफ़' जैसी रोमांटिक-थ्रिलर के साथ बाल-कथा 'द ब्लू अंब्रेला' नाम से भी हास्य-ड्रामा आधारित फिल्म बनाई।

रस्किन बॉन्ड 84 साल की उम्र में भी घर पर अपना काम खुद करते हैं। रस्किन बॉन्ड की बहु बीना कहती हैं कि आज भी वह घर पर अपना पूरा काम करते हैं। बॉन्ड अभी भी निरंतर लेखन का काम कर रहे हैं। रस्किन ने अपने जन्मदिन पर बच्चों से वादा किया है कि उनके लिए अभी भी किताबें लिखूंगा। नए लेखकों से रस्किन ने अपील की है कि जितना अच्छा हो लिखने का प्रयास करें। ऐसी कुछ नहीं लिखें जिससे समाज में कोई नकारात्मक असर न पड़े। कहा कि सभी लोग स्वस्थ रहें, खुश रहें। वह यही चाहते हैं।

रस्किन बचपन से ही किताबों के शौकीन थे। 17 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली किताब 'द रूम ऑन द रूफ' लिखी थी। रस्किन की मां नहीं चाहती थीं वे एक लेखक बनें क्योंकि उनका मानना था कि लेखक बनने में कुछ नहीं रखा इसीलिए वे चाहती थीं कि रस्किन आर्मी जॉइन कर लें लेकिन रस्किन के मुताबिक मैं दिमाग की बजाय दिल की ज्यादा सुनता हूं इसलिए दिल की बात मानकर लेखक बन गया।

रस्किन का बचपन काफी मुश्किलों में गुजरा है इसलिए बच्चों और उनके बचपन की बातों को वे अच्छी तरह समझ सकते हैं, इनकी रचनाओं में खासकर बच्चों की इच्छाओं, उनके सपने और संघर्ष की कहानियां देखने को मिलती हैं। प्रकृति के पास रहने के कारण इनकी हर पुस्तक प्रकृति से भी प्रभावित रहती है। रस्किन की किताबों के कुछ चरित्र जैसे रस्टी और अंकल क्रेन बच्चों में खासे लोकप्रिय हैं। अपने 35 वर्ष से भी अधिक के लेखन कॅरियर में रस्किन अब तक सौ से ज्यादा लघु कथाएं, निबंध, नॉवेल और तीस से ज्यादा बच्चों के लिए किताबें लिख चुके हैं। साथ ही रस्किन अखबारों में भी कई गंभीर विषयों पर लिखते रहते हैं।

उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं हैं- रूम ऑफ द रूफ, द एडवेंचर ऑफ रस्टी, रोड्स टू मसूरी, मसूरी एंड लंढौर, एंग्री रिवर, टेल्स एंड लीजेंड्स ऑफ इंडिया आदि।

आइए एक नज़र डालते हैं रस्किन बॉण्ड की उपलब्धियों पर

रस्किन बॉण्ड का भारतीय अंग्रेज़ी साहित्य में असीम योगदान रहा है उनके इसी योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। 1957 में उन्हें अपनी पहली पुस्तक ''द रूम ऑन द रूफ'' के लिए जॉन रेहस अवॉर्ड मिला। 1992 में ऑवर ”ट्रीज़ स्टिल ग्रो ऑन डेहरा” के लिए साहित्य अकादमी अवॉर्ड से नवाज़ा गया। 1999 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री औऱ 2004 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है।

केवल बच्चे ही रस्किन बॉण्ड की किताबों के दिवाने नहीं हैं, बॉलीवुड में भी रस्किन बॉण्ड के चाहने वाले हैं, तभी तो अब तक उनकी किताबों पर बॉलीवुड में तीन फिल्में बन चुकी हैं जिनमें फ्लाईट ऑफ पिज़िन्स पर प्रख्यात निर्माता निर्देशक श्याम बेनेगल ने शशि कपूर को लेकर 'जुनून' फिल्म बनाई फिर इसके बाद निर्माता विशाल भारद्वाज ने उनकी किताब सुज़ैन सेवेन हसबैंड पर प्रियंका चोपड़ा को लेकर हिट फिल्म 'सात खून माफ बनाई' और ब्लू अंब्रेला पर बच्चों के लिए हास्य फिल्म 'द ब्लू अंब्रेला' बनाई।

उम्र के इस पड़ाव पर भी रस्किन में वही बच्चों जैसा उत्साह साफ देखा जा सकता है। हर साल रस्किन अपना जन्मदिन बच्चों के साथ व उन्हें ऑटोग्राफ देकर मनाते हैं। प्रत्येक शनिवार को रस्किन मसूरी के मॉल रोड स्थित कैंब्रिज बुक डिपो में आते हैं जहां उनसे मिलने के लिए लोगों की लंबी-लंबी लाइन लगती है जिसमें केवल बच्चे ही नहीं बड़े भी होते हैं।