उदयपुर गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों / बखाईयों पर काष्ठ अंकन कला श्रृंखला -14
गढ़वाल, , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखई ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 87
पठोला (मल्ला उदयपुर ) में समृद्धि , उन्नत कृषि के अतिरिक्त स्व किरत राम तिवारी के कारण भी प्रसिद्ध था। स्व किरत राम तिवारी मल्ला उदयपुर के इस क्षेत्र से पहले सैनिक थे जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया। किरत राम तिवारी ने 1939 -1945 तक नाजियों के विरुद्ध इटली व ऑस्ट्रिया में युद्ध लड़ा। किरत राम 1955 में सेवानिवृत हुए व उनका देहांत 2001 में हुआ।
प्रस्तुत किरत राम -तुला राम तिवारी की निमदारी क्षेत्र गंगा सलाण की अन्त्य निमदरियों या जंगलेदार मकानों से कुछ बिलक्षणी है। किरत राम -तुलाराम तिवारी के मकान में छत सिलेटी पटाळों (चपटे पत्थर ) की नहीं अपितु चद्दर की है। दुखंड /तिभित्या मकान होने के बाबजूद भी मकान में छज्जा नहीं है। इन दो विशेषताओं के अतिरिक्त जंगले पर सपाट स्तम्भों के बजाय कला उत्कीर्णित स्तम्भों से (art carved columns ) सजे हैं। ये तीन विशेष्ताओं के लिए भी यह मकान विशेष मकान माना जाता था। स्तम्भों के आधार व शीर्ष में छत आधार से मिलने वाली कड़ी के नीचे घुंडी /कमल दल की आकृतियां हैं जो कम ही इस क्षेत्र के निम्दारियों के स्तम्भों में पाया गया है।
निष्कर्ष निकलता है कि कला की दृष्टि से काष्ठ स्तम्भों में ज्यामितीय , प्राकृतिक व प्रतीकात्मक अलंकरण हुआ है व मानवीय अलंकरण इस मकान के काष्ठ में नहीं मिलता है। मकान व काष्ठ स्तम्भ क्षेत्र से अलग शैली व कला के हैं। संभवतया मकान 1955 के पश्चत ही निर्मित हुआ।
सूचना व फोटो आभार : बिक्रम तिवारी , Vickey Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020