गौं गौं की लोककला

चमोला गाँव (कर्णप्रयाग ) में देवी प्रसाद डोभाल की चौखंब्या - तिख्वळ्या- तोरणदार तिबारी व खोली में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : द्वारिका प्रसाद चमोला

Copyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 180

चमोला गाँव (कर्णप्रयाग ) में देवी प्रसाद डोभाल की चौखंब्या - तिख्वळ्या- तोरणदार तिबारी व खोली में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी

House Wood Carving Ornamentation from Chamola village of Chamoli garhwal

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - 180

(अलंकरण व कला पर केंद्रित )

संकलन - भीष्म कुकरेती

चमोला गाँव चमोली गढ़वाल का महत्वपूर्ण गाँव है व समृद्ध गाँवों में गिनती थी। चमोला (कर्णप्रयाग ) से कुछेक तिबारियों की सूचना मिली है जिसके बारे में अगले खंडों में चर्चा होगी। आज चमोला गांव के देवी प्रसाद डोभाल परिवार की लगभग 100 वर्ष पुरानी तिबारी व खोली में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , लकड़ी में नक्कासी पर चर्चा होगी।

चमोला में देवी प्रसाद डोभाल परिवार का मकान दुपुर व , दुखंड / दुघर/तिभित्या है . मकान में तिबारी पहली मंजिल में स्थापित है व ऐसा लगता है मकान के तल मंजिल में भी में तिबारी संरचना शुरुवाती दिनों में थी क्योंकि तिबारी के मुरिन्ड आकृति /संरचना अभी तक ज्यों की त्यों है।

तल मंजिल में खोली में काष्ठ कला , लकड़ी पर नक्कासी -

कला व अलंकरण या नक्कासी दृष्टि से चमोला में देवी प्रसाद डोभाल परिवार के मकान के तल मंजिल में खोली में ही कला /अलंकरण विवेचना लायक है। खोली के दोनों ओर के स्तम्भ कुमाऊं की बाखलियों की याद दिलाती हैं याने गढ़वाल व कुमाऊँ दोनों क्षेत्रों में खोली के स्तम्भों में संरचना शैली व कला उत्कीर्णन एक समान पायी गयी है। यह एक यक्ष प्रश्न है कि यह शैली /कला उत्तराखंड में कहाँ से पहले पहल आयी और इसका प्रसार किस लाइन /लगुली से हुआ। चमोला में देवी प्रसाद डोभाल परिवार की खोली में एक एक ओर के स्तम्भ छह लघु स्तम्भों या shaft या कड़ियों से मिलकर निर्मित हुए है। दीवार से सटे लघु स्तम्भ पर कुछ कुछ चूड़ी नुमा या गोलाई में कटे करेला जैसी आकृतियां अंकित हुयी है। यह कड़ी ऊपर जाकर मुरिन्ड की एक तह बनाती है। इस कड़ी /लघु स्तम्भ के बाद सपाट कड़ी है जो मुरिन्ड की तह बनते भी सपाट ही रहती है। फिर इस लघु स्तम्भ या कड़ी के बाद दो कड़ियाँ (युग्म ) मिली हैं , एक कड़ी सीधी है व अंदर की ओर दूसरी कड़ी आधार पर थांत (क्रिकेट बैट का ब्लेड जीएसए ) की आकृति में है व ऊपर थांत के हत्थे जैसा आकृति लिए मुरिन्ड की तह बनाता है। थांत के हत्ते कड़ी में बेल -बूटे अंकित हैं। सबसे अंदर की कड़ी /लघु स्तम्भ से पहले वाली कड़ी के आधार में मानवीय जैसे हाथ , मुंडी , व अन्य आकृतियां अंकित हैं यह कड़ी ऊपर जाती है और आधार के बाद इस कड़ी में बेल बूटे अंकित है जो मुरिन्ड की तह बनाते वक्त भी हैं। मोरी के सत्मव्ह के सबसे अंदर वाले उप स्तम्भ /कड़ी गोल व सपाट हैं।

अनुमान लगाने की आवश्यकता नहीं है कि चमोला (कर्णप्रयाग ) में देवी प्रसाद डोभाल परिवार के मकान की खोली के मुरिन्ड में देव आकृतियां फिट होंगीं .

-चमोला गांव में देवी प्रसाद डोभाल परिवार की तिबारी में लकड़ी की नक्कासी -

चमोला गांव में देवी प्रसाद डोभाल परिवार की तिबारी चौखंब्या - तिख्वळ्या- तोरणदार याने चार स्तम्भों व तीन ख्वाळ व मेहराब वाली तिबारी है । आम गढ़वाली तिबारी स्तम्भ जैसे ही डोभाल परिवार की इस तिबारी के स्तम्भ देहरी के डौळ के ऊपर टिके हैं। प्रत्येक स्तम्भ के आधार में उल्टा कमल फूल है उसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा खिला कमल फूल है व यहाँ से स्तम्भ की आकृति लौकी जैसे होने लगती है व सबसे कम मोटाई की जगह में उल्टा कमल फूल है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल फूल है। कमल फूल के ऊपर एक चौकोर ड्यूल है व वहीं से स्तम्भ ऊपर की ओर बढ़ते हुए चौड़े थांत (क्रिकेट बैट ब्लेड आकृति ) की सजकल अख्तियार करता है व यहीं कमल दल के ऊपर से मेहराब की ार्ध चाप शुरू होती है जो दूसरे स्तम्भ के अर्ध मंडल से मिलकर पूरा मेहराब बनाता है। मेहराब का आंतरिक कटान तिपत्तिनुमा है।

स्तम्भ को दीवार से जोड़ने वाली लकड़ी की कड़ी पर कुदरती पेड़ लताओं की नक्कासी हुयी है।

जहां पर स्तम्भ थांत स्वरूपी है वहां सभी स्तम्भों में देव आकृति खुदी हैं। मेहराब के ऊपर बाहर दोनों त्रिभुजों के किनारे बहु दलीय पुष्प अंकित हैन बीच में मेहराब के ऊपर पट्टिका में देव आकृत्तियाँ , बीज मंत्र अंकित है जो तिबारी की विशेष विशेहता बन जाती है। मेहराब के बाहरी त्रिभुजों में प्रकृति आकृति अंकन हुआ है। मुरिन्ड की कड़ियों में बेल बूटे अंकित हैं।

छत के काष्ठ आधार से कई शंकु लटके हैं।

निष्कर्ष निकलता है कि चमोला (कर्ण प्रयाग , चमोली ) गांव में देवी प्रसाद डोभाल परिवार के मकान में जायमितीय कटान , प्राकृतिक अलंकरण अंकन व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है व भवन व तिबारी उच्च श्रेणी में रखा जा सकता है।

सूचना व फोटो आभार : द्वारिका प्रसाद चमोला

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तुस्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020