उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -34

उत्तराखंड में लमिंड /लमिंडा / चचिंडा व गुदड़ी / तोरई का इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 10 उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --34

उत्तराखंड में लमिंड /लमिंडा / चचिंडा व गुदड़ी / तोरई का इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 10

उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --34

आलेख : भीष्म कुकरेती

Botanical Name Trichosanthes anguina

Common Name- Snake Gourd -

लमिंड /लमिंडा / चचिंडा व तोरई (गुदड़ी ) का जन्म भारत में हुआ और उपयोग दस हजार वर्ष पहले चुका था।

चचिंडा का जन्म हिमालय की पहाड़ियों की तलहटियों में हुआ (E.L. Harvey et all, 2006)।

इसी तरह वैज्ञानिकों का अनुमान है कि तोरई गुदड़ी का भी जन्म हिमालय के ढलानों या मध्य भारत की पहाड़ियों में या पूर्वी भारत में हुआ (E.L. Harvey et all, 2006)।

भारत में ही दोनों सब्जियों का कृषिकरण हुआ।

चचिंडा और गुदड़ी/तोरई उत्तराखंड में भी हजारों सालों से रही हैं और शायद उत्तराखंड में इनका कृषि करण धातु युग से पहले ही हो चुका होगा .

आयुर्वेद में इन दोनों का वैकल्पिक प्रयोग का उल्लेख है याने किस किस सब्जियों से शरीर को क्या लाभ मिलता है का उल्लेख हुआ है ।

चरक संहिता , सुश्रुता संहिता , कई निघण्टुओं में लमिंडा /परवल के गुणों का व औषधीय लाभ पर चर्चा की गयी है। (डा सुभाष कालेकर )

कश्यप के कृषिसूत्र (800 AD ) में लमिंड /लमिंडा / चचिंडे और तोरई की जातियों का जिक्र है ।

Copyright @ Bhishma Kukreti 8/10/2013