डवोली में गुणा नंद डबराल की तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण
डबराल स्यूं , गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन कला श्रृंखला -7
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 78
संकलन - भीष्म कुकरेती
डवोली की लोक कला अध्याय में पहले ही सूचना दी जा चुकी है कि डवोली डबरालस्यूं का सबसे बड़ा क्षेत्र वाला गाँव है। डवोली में लगभग चार तिबारियां का कुछ लकड़ी के जंगले दार मकान व विशेष बिन काष्ठ की तिबारियां थीं किन्तु समय के साथ सभी तिबारी व जंगले ध्वस्त कर दिए गए व उनकी जगह नए मकान बन गए हैं। पूछने पर पता चला कि तिबारी मालिकों ने ध्वस्त होने से पहले कोई फोटो नहीं लिये थे।
एक सूचना अनुसार डवोली में अभी केवल स्व गुणा नंद डबराल की तिबारी ही बची है व वह भी आखरी सांस ले रही है। मकान दुखंड है व पहली मंजिल में दो कमरों से बरामदे पर तिबारी गयी थी। मकान में पाषाण छज्जा व तिबारी में पाषण की ही देळी /देहरी doorsil है। देळी
तिबारी चार स्तम्भों से सजी है ,स्तम्भ देळी के ऊपर टिके हैं व चारों स्तम्भ तीन मोरी /खोळी /द्वार बनाते हैं। चारों स्तम्भ सपाट चौखट हैं का कहीं भी स्तम्भों में ज्यामितीय कला के अतिरिक्त प्राकृतिक व मानवीय कला के दर्शन नहीं होते हैं। चौखट मुरिन्ड में भी कोई नक्कासी नहीं दिखती।
आज के परिपेक्ष में सपाट स्तम्भों वाली स्व गुणा नंद डबराल की तिबारी साधारण तिबारी दिखती है किंतु एक समय था कि तिबारी की अपनी शान थी व स्व गुणा नंद की तिबारी स्थल डवोली में एक विशेष पहचान स्थल था । ननिहाल आये भानजी - भानजेों व अन्य मेहमानों को यह तिबारी दर्शनीय स्थल माफिक दिखाई जाती थी
सूचना व फोटो आभार : हरीश डबराल, डवोली
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