गौं गौं की लोककला

कड़ती (ढांगू ) में सिलस्वाल बंधुओं की निमदारी में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी

सूचना व फोटो आभार: विशेश्वर सिल्सवाल कड़ती

Copyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 213

कड़ती (ढांगू ) में सिलस्वाल बंधुओं की निमदारी में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी 213 -

Traditional House wood Carving Art of Kadti, Karti , Silogi , Pauri Garhwal

संकलन - भीष्म कुकरेती

पौड़ी गढ़वाल में ढांगू में कड़ती एक प्रसिद्ध गांव है और सिलोगी स्कूल हेतु जमीन देने हेतु आज भी कड़ती गाँव याद किया जाता है। कड़ती व बजारी कठूड़ दो गाँव क्षेत्र फल हिसाब से मल्ला ढांगू में बड़े गांव माने जाते हैं। कड़ती का सिलसू देवता तो मल्ला ढांगू के कई गाँवों का लोक देवता है। ये गाँव धन कटने बाद पूजा हेतु धान व दूध कड़ती पँहुचाते थे।

मकानों में लकड़ी पर हुनर या नक्काशी संबंधी सिलसिले में आज कड़ती के सिलस्वाल बंधुओं (स्व सिद्ध नंद सिल्सवाल , स्व दौलत राम सिल्सवाल व मोहन लाल सिल्सवाल ) की निमदारी अथवा जंगलेदार मकान में काष्ठ कला पर चर्चा होगी।

अपने समय में सिलस्वाल बंधुओं की निमदारी की अपनी पहचान व सामाजिक उपयोग था। कड़ती में सिलस्वाल बंधुओं की निमदारी गढ़वाल की आम निमदारियों जैसे ही पहली मंजिल पर स्थापित हैं लकड़ी के चौड़े छज्जे के ऊपर स्थापित है। कड़ती में सिलस्वाल बंधुओं की निमदारी की गिनती भव्य निमदारियों में होती थी। कड़ती में सिलस्वाल बंधुओं की निमदारी में सोलह स्तम्भ हैं व पंद्रह ख्वाळ हैं। स्तम्भ छज्जे की कड़ी से चलते ऊपर बड़ी कड़ी से मिल जाते हैं। कड़ती में सिलस्वाल बंधुओं की निमदारी में प्रत्येक स्तम्भ के आधार पर दोनों ओर से पट्टिकाएं लगी हैं। जिससे आधार पर स्तम्भ मोटे व सुंदर लगते हैं। कड़ती में सिलस्वाल बंधुओं की निमदारी के आधार से दो फ़ीट ऊपर रेलिंग कड़ी है व इस कड़ी व छज्जे की कड़ी पर लोहे की छड़ियों से जंगला बनाया गया है।

कड़ती में सिलस्वाल बंधुओं की निमदारी की लकड़ी में ज्यामितीय ढंग से ही कटान हुआ है व अन्य कोई अलंकरण निमदारी में नहीं दीखता है।

निष्कर्ष निकलता है कि कड़ती में सिलस्वाल बंधुओं की निमदारी लम्बी व सोलह सत्रह काष्ठ स्तम्भों के कारण भव्य निमदारी है और निमदारी में केवल ज्यामितीय कटान हुआ है। इस निमदारी के शिल्पकार स्थानीय ही थे (कड़ती व कख्वन व आसपास ) .

सूचना व फोटो आभार: विशेश्वर सिल्सवाल कड़ती

यह लेख भवन कला, नक्काशी संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तुस्थिति में अंतर हो स कता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020