गौं गौं की लोककला

देवप्रयाग क्षेत्र (टिहरी ) के एक भव्य सातखंबा तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन

सूचना व फोटो आभार : बिलेश्वर झल्डि

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 169

देवप्रयाग क्षेत्र (टिहरी ) के एक भव्य सातखंबा तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन

गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ , अलकंरण , अंकन , लकड़ी नक्कासी ) -169

संकलन - भीष्म कुकरेती

पर्यावरण मित्र बिलेश्वर झल्डियाल ने देवप्रयाग मंडल से विशेषत: श्रीकोट से कई तिबारियों की सूचना व फोटो भेजी हैं। प्रस्तुत तिबारी अति बिशेष तिबारियों के श्रेणी में आती है क्योंकि श्रीकोट (टिहरी गढ़वाल ) क्षेत्र की यह तिबारी सतखम्बी व खटख्वळि /छह खवाळ वाली तिबारी है। तिबारी में काष्ठ कला विवेचना हेतु तीन बिंदुओं पर ध्यान देना होगा। मकान दुपुर, दुघर /दुखंड /तिभित्या है। मकान का छज्जा चौड़ा है व पत्तरः वाली छत वाला है। तल मंजिल से पहली मंजिल हेतु सीढ़ियां बाहर से हैं।

सतखम्बी व खटख्वळि /छह ख्वाळ वाली तिबारी के तल मंजिल में काष्ठ कला आकलन

पहली मंजिल में तिबारी में लकड़ी पर नक्कासी

तिबारी के ऊपर मुरिन्ड में काष्ठ कला व अलंकरण अंकन

मकान के तल मंजिल में दो बड़ी चौखट खोली हैं जिनमे लकड़ी का तोरण /मेहराब स्थापित है।

पहली मंजिल में बाहर के तीन कमरों को खुला छोड़ बरामदा बना है जिस में सात सिंगाड़ /स्तम्भ व स्तम्भों से निर्मित छह ख्वाळ /खोली हैं। कोटि क्षेत्र की इस तिबारी के सातों स्तम्भ गढ़वाल की अन्य तिबारियों स्तम्भों जैसे ही हैं किन्तु स्तम्भों के ऊपरी शिरा में अलग विशेष प्रकार की काष्ठ कला अंकन देखने को मिला।

स्तम्भ की आधारिक कुम्भी अधोगामी कमल से बनी है, फिर

ड्यूल है , , फिर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है और यहां से स्तम्भ लौकी आकर लेता है। गढ़वाल की अन्य तिबारियों में सामन्यतया स्तम्भ की सबसे कम गोलई से थांत (cricket bat blade type ) की शक्ल ले लेता ही किन्तु श्रीकोट क्षेत्र की इस तिबारी में स्तम्भ थांत के आकृति में न होकर स्तम्भ चौकोर मुंगुर /गदा नुमा (club ) आकृति अख्तियार कर लेता है। इस मुंगर नुमा आकृति में युग्म लघु स्तम्भ भी अंकित हैं जो इस तिबारी की विशेष विशेषता (Exclusive charcterstic ) प्रदान करता है। युग्म लघु स्तम्भ युक्त मुंगर /गदा आकृति सीधे ऊपर सिंगाड़ की कड़ी से जुड़ जाते हैं।

छत के आधार व सिंगाड़ कड़ी के मध्य पट्टी में अंकन हुआ है।

आज मकान जीर्ण शीर्ण अवस्था से गुजर रहा है किन्तु साफ़ पता चलता है कि कभी इमारत बुलंद थी व चहल पहला वाला घर था।

घट , गांव व घर मालिक की सूचना अभी नहीं आयी है तो शिल्पकार कहाँ के थे की सूचना भी प्रतेक्षारत है किन्तु मकान चिनने वाले ओडों व काठ कलाकारों के शिल्प की प्रशंसा तो होनी ही चाहिए।

इसमें कोई दो राय नहीं कि श्रीकोट क्षेत्र की यह तिबारी गढ़वाल के तिबारियों में विशेष तिबारियों में गिनी जायेगी .

सूचना व फोटो आभार : बिलेश्वर झल्डि

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020