.'''''यादुं फंचि'''''

सुरुक आंखों बटि शरम हर्चे दींद ।

त्यार नौ रटना मेरी निंद हर्चे दींद ।।


छुचि मेरी नियत फरि शक न कैर ।

तेरी यादुं फंचि मेरी सुध हर्चे दींद ।।


दाना दिवना ब्वल्दि माया न कारा ।

पर उकर्युं सांसु आफत हर्चे दींद ।।


आदिम गुंज्येंद मोहमाया घट्ट मा ।

ज्वनि धौंकाफौंक दिमाग हर्चे दींद ।।


भूलि जंदि लोग वीं ज्वनि की खैरि ।

जो कतगै भूक तीस वुनि हर्चे दींद ।।


बारामास पुरणा दिन नि रैंदा उपिरि ।

जमनु बिसर्याम जोड़ीदार हर्चे दींद ।।