सादर शुभ संध्या प्रिय मित्रों...🙏🌺
एक ग़ज़ल पेश-ए-खिदमत है...शमाद फरमाएं.. 🙏🌹🌺
"ग़ज़ल"
"ग़ज़ल"
"ऐ जान, मेरी जान पर एहसान कर दो,
बस हमारी जान को,अब जान कर दो !!
जिंदगी के रंग धुंधले , स्वाद फीके,
मुख में ज्यों घुलता, बनरसी पान कर दो !!
है बहुत ही व्यग्र जी, तुम बिन हमारा,
अपना पल-दो पल इसे तुम दान कर दो !!
आपके बिन नाम भी, गुमनाम सा है,
इस जहाँ में, तुम मेरी पहचान कर दो !!
'नरेश ' मैं अल्पज्ञ हूँ, हैं शब्द बिखरे,
अपनी 'कोकिल-कंठ' से, तुम गान कर दो !!