© नरेश उनियाल,

ग्राम -जल्ठा, (डबरालस्यूं ), पौड़ी गढ़वाल,उत्तराखंड !!

सादर शुभ संध्या प्रिय मित्रों...🙏🌺

एक ग़ज़ल पेश-ए-खिदमत है...शमाद फरमाएं.. 🙏🌹🌺

"ग़ज़ल"

"ऐ जान, मेरी जान पर एहसान कर दो,

बस हमारी जान को,अब जान कर दो !!


जिंदगी के रंग धुंधले , स्वाद फीके,

मुख में ज्यों घुलता, बनरसी पान कर दो !!


है बहुत ही व्यग्र जी, तुम बिन हमारा,

अपना पल-दो पल इसे तुम दान कर दो !!


आपके बिन नाम भी, गुमनाम सा है,

इस जहाँ में, तुम मेरी पहचान कर दो !!


'नरेश ' मैं अल्पज्ञ हूँ, हैं शब्द बिखरे,

अपनी 'कोकिल-कंठ' से, तुम गान कर दो !!