गौं गौं की लोककला

नेलंग घाटी के एक भग्न मकान की तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 171

नेलंग घाटी के एक भग्न मकान की तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 171

संकलन - भीष्म कुकरेती

नेलंग - जाड घाटियां चीन युद्ध के बाद भारतियों के लिए 2015 से खुला। इस दौरान बगोरी या जाड गाँवों में कई घर भग्न अवश्था में पंहुच गए। कुछ घरों की बनावट कोटि बनाल के तरीके से निर्मित हुए थे याने पत्थर व देवदारु की लकड़ी से बने होंगे तो पूर्ण रूप से धरासायी नहीं हुए हैं। उनमे से एक मकान की फोटो उपलब्ध हुयी है।

मकान में पहली मंजिल में चार सिंगाड़ (चर सिंगाड्या ) और तीन ख्वाळ (तिख्वळ्या ) तिबारी स्थापित थी। . तिबारी के दूसरे भाग के बरमदे को खड़े पटिल ों से ढका गया है।

भग्न तिबारी के सिंगाड़ों /स्तम्भों में कला , अलंकरण बिलकुल गढ़वाल के अन्य क्षेत्र की तिबारियों जैसे ही है। अर्थात आधार पर उलटे कमल से निर्मित कुम्भी फिर ड्यूल फिर सीधा कमल दल फिर स्तम्भ का लौकी शक्ल अख्तियार करना व बाद में ड्यूल व कमल दल व फिर स्तम्भ थांत शक्ल अख्तियार कर मुरिन्ड /मथिण्ड से मिल जाते हैं।

नेलंग घाटी , जाड घाटी -नाग घाटी वालों के लिए शीत ऋतू में नरेंद्र शाह के समय से नीचे डुंडा में गुनसा निश्चित कर दिया था।

मकान से निश्चित होता है कि नेलंग घाटी में मकान काष्ठ कला तिब्बत (दाबा घाटी ) व गढ़वाल का मिश्रण है।

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