उत्तराखंडी व्यंजन का हर कोई दिवाना, विदेशियों को भी भाया पहाड़ी खाना

उत्तराखंडी व्यंजन का हर कोई दिवाना, विदेशियों को भी भाया पहाड़ी खाना

जब भी बात देवभूमि उत्तराखंड की आती है तो वहा के व्यंजनों को भी खूब पसंद किया जाता है फिर चाहे बात झंगुरे की खीर की हो या मंडुवे की रोटी और तिल की चटनी की या हो बात भांग की चटनी की..

मंडवे की रोटी

मंडवे की रोटी गढ़वाल मेंसबसे अधिक खाया जाने वाला प्रमुखता लिए..गढ़वाल के वोग अक्सर चूहले में मंडवे की मोटी-मोटी रोटी बनाते है और तिल या भांग की चटनी के साथ बड़े चाव से खाते है.

आलू का झोल

हालांकि यह गढ़वाल की स्पेशएलिटी है, लेकिन इसे देशभर में कहीं भी आसानी से बनाया जा सकता है. मुख्य रूप से इसमें आलू और टमाटर का इस्तेमला होता है और सब्जी पकाने के क्रम में गाढ़ी कढ़ी रखी जाती है. जबकि इसे बनाने के क्रम में आलू को उबालकर मैश कर दिया जाता है. साथ ही टमाटर को भी बारीक काटकर डाला जाता है.

काफली

इसे कुमाऊं में काप या कापा भी बोला जाता है. पालक से बनने वाला यह व्यंजन यूं तो साग की तरह बनता है, लेकिन इसमें पालक के पत्तों को पूरी तरह मैश न करके सामान्य ही रखा जाता है. इसके लिए पत्ते को अच्छी तरह धोकर बस तब तक उबाला जाता है, जब तक कि पूरी तरह पक न जाए. सर्दी के मौसम में यह गढ़वाल का एक पारंपरकि और लोकप्रिय व्यंजन है.

झंगुरे की खीर

झंगुरे की खीर चावल की खीर जैसी ही होती है अंतर ये होता है कि झंगुर महीन और बारीक दाने के रुप में होता है और आसानी से खाया जा सकता है। पहाड़ो में झंगुरे को चावल के जैसा पकाकर दाल-सब्जी के साथ भी खाया जाता है।

अरसा

शादी-ब्याह के मौसम में इसे खास तौर पर बनाया जाता है. इसके लिए चावल को पीसकर आटे की शक्ल दी जाती है. फिर गुड़ को पिघलाकर इसमें मिलाया जाता है और बिस्किट के आकार में तेल या घी में फ्राई किया जाता है. गढ़वाल का यह एक पारंपरिक मीठा पकवान है.

चैसोणी

इसमें उड़द और भट्ट की दाल को पीसकर गाढ़ा पकाया जाता है. इसके स्वाद में इजाफे के लिए बारीक टमाटर, प्याज, अदरक का पेस्ट बनाकर खूब पकाया जाता है. यह दिन के खाने के तौर पर खूब पसंद किया जाता है.

भांग की चटनी

आप अगर गढ़वाल में हैं और चाहे किसी भी तरह का भोजन कर रहे हैं. भांग की चटनी इसे और स्वादिष्ट बनाती है. इसका खट्टा-नमकीन-तीखा फ्लेवर सभी तरह के परांठे और मंडवे की रोटी के साथ जबरदस्त स्वाद देता है.

बाड़ी

इसे बनाने के लिए मंडवे के आटे में नमक, लाच मिर्च पाउडर मिलकार हलवे की तरह गाढ़ा पकाया जाता है. गढ़वाल में अधिकतार पकवान और व्यंजन बनाने के लिए लोहे की कढ़ाई का इस्तेमाल होता है.

कंडाली का साग

कंडाली हरी सब्जी की तरह होती है. ये पहाड़ो में आसानी से मिल जाती है जिसमें सुई जैसे छोटे-छोटे कांटे होते है. इसके लिए पत्ते को अच्छी तरह धोकर बस तब तक उबाला जाता है, जब तक कि पूरी तरह पक न जाए. सर्दी के मौसम में यह गढ़वाल में ये व्यंजन खूब बनाया जाता है

फाणु का साग

इसमें गहत की दाल को पीसकर गाढ़ा पकाया जाता है. इसके पानी का खास ख्याल रखा जाता है. यह जितनी गाढ़ी बने उतना बेहतर. जब पीसी हुई गहत अच्छे से गाढ़ी हो जाए तब उसमें बारीक टमाटर, प्याज, अदरक, लहसन आदि डालकर इसे अच्छी तरह पकाया जाता है.

गहत के परांठे

सुबह के नाश्ते के लिए गहत की दाल के परांठे गढ़वाल में ऑल टाइम फेवरेट हैं. तासीर से गर्म गहत पहाड़ी मौसम के लिहाज से भी लाभदायक है. भांग की चटनी के साथ इसका स्वाद और निखर जाता है. लोग गहत की दाल को भूनकर भी खाना पसंद करते हैं. आमतौर पर इसके लिए मंडवे के आटे का इस्तेमाल होता है.

काछमौली

सर्द मौसम के कारण गढ़वाल में नॉनवेज को खूब पसंद किया जाता है. मटन से बनने वाला काछमौली खूब तीखा और मसालेदार होता है. इसके लिए मटन को पहले खूब भुना जाता है. आम तौर पर दुकानों में पहले से ही भुना मटन मिलता है. इसमें ग्रेवी को कम रखा जाता है.

सिंगौड़ी


इसके लिए दूध को जलाकर मावा बनाया जाता है. फिर इसे पान के पत्ते में सजाकर परोसा जाता है. यह श्रीनगर-गढ़वाल में खूब प्रचलित है.