गढ़वाली कविता
खोजि ल्यावा अपडो ते
कबि अपड़ा रैन्दा छया यख
अब बि नि जाण वो ग्या कख
तिबारी उदास डांण्ड्याळी उदास
कख गे होळा वो खोजीदास
बालकृष्णा ध्यानी