गौं गौं की लोककला
संकलन
भीष्म कुकरेती
गटकोट (ढांगू ) में सौकारुं तिबारी में काष्ठ कला- अलंकरण
सूचना व फोटो आभार : विवेका नंद जखमोला , गटकोट
Copyright
Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020
उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 65
गटकोट (ढांगू ) में सौकारुं तिबारी में काष्ठ कला- अलंकरण
गटकोट (ढांगू ) में तिबारी , निमदारी , डंड्यळ , जंगलेदार भवन काष्ठ कला /अलंकरण -6
ढांगू गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन कला
गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 65
संकलन - भीष्म कुकरेती
आज जब हम किसी भी प्राचीन तिबारी या प्राचीन आम घर की विवेचना करते हैं तो वास्तव में हम आज की दृष्टि से लोचन करते हैं। जब कि जब ये तिबारियां या भवन निर्मित हुए होंगे तब संसाधन , धन , तकनीक , टेक्नीशियन , उपकरण , भोजन वास्तव में कम नही अपितु बहुत ही कम उपलब्ध थे। सम्प्रति आलोच्य सौकारुं तिबारी की विवेचना आज की दृष्टि से करें तो बड़ी सामन्य तिबारी है किन्तु हमें विवेचनार्थ उस काल में जाना पड़ेगा जब पेड़ तो उपलब्ध थे किन्तु चिरानी व आरे रन्दा खोजने पर भी सुलभता से उपलब्ध न थे , आरे , रन्दा के साथ आरकसी मिल भी गए तो उनके ठहराने व उन्हें रोज भोजन व्यवस्था करना भी कम कठिन काम न था।
सौकार अर्थात महाजन या शाहूकार। वैसे यह सर्वमान्य था कि सौकार के अनाज भंडार अधिक होते थे व सौकार अनाज या रूपये ब्याज पर उधार देते थे। अतः सौकार आम जनता से अधिक ही सम्पन थे तो तिबारी भी वे ही अधिक निर्माण करवा सकते थे।
गटकोट के सौकारुं का जीर्ण होता यह घर काफी बड़ा है व अपने समय में बहुत बड़ा घर ही माना गया होगा। सौकारुं के तिभित्या /दुखंड मकान के पहली मंजिल में चार स्तम्भों वाली तिबारी बिठाई गयी है। तिबारी चौकोर है व खोलियों में कोई तोरण /arch मेहराब नहीं है। स्तम्भ में रेखाओं से ज्यामितीय व वानस्पतिक अलंकरण के चिन्ह बाकी दीखते हैं।
सपाट तिबारी स्तम्भों व बिन तोरण की तिबारी व बहुत कम काष्ठ अलंकरण से साफ़ प्रतीत होता है कि स्थानीय बढ़इ यों ने ही तिबारी निर्मित की होगी। किन्तु बड़े मकान व तिबारी से निष्कर्ष निकाला जा सकता है दो साल में ही घर निर्मित हुआ होगा व उस समय सौकारों हेतु भी जिगर का काम था ऐसा घर निर्माण करना। यह भवन सन 1930 के उपरान्त का ही लग रहा है।
सूचना व फोटो आभार : विवेका नंद जखमोला , गटकोट
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