गौं गौं की लोककला

रविग्राम में भुवनेश जमलोकी की भव्य तिबारी , खोली, दरवाजे व मोरी में काष्ठ कला व अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : उपासना सेमवाल पुरोहित

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 101

रविग्राम में भुवनेश जमलोकी की भव्य तिबारी , खोली, दरवाजे व मोरी में काष्ठ कला व अलंकरण

रुद्रप्रयाग गढवाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलादार मकान जं पर काष्ठ अंकन कला श्रृंखला 2

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बखई, खोली , छाज ) काष्ठ अंकन लोक कला - 101

(कला व अलंकरण केन्द्रित )

संकलन - भीष्म कुकरेती

गुप्तकाशी के निकट रविग्राम रुद्रप्रयाग का एक महत्वपूर्ण गाँव है। रुद्रप्रयाग के लिए खूबसूरत तिबारियों का जिला भी कहा जाता है। प्रस्तुत , भुवनेश जमलोकी की भव्य तिबारी इस लोक कथन की पुष्टि ही करता है, इस मकान में कष्ट कला समझने हेतु तीन मुख्य स्थलों में ध्यान देना होगा -

दुखंड /तिभित्या मकान दुपुर (तल मंजिल व पहला मंजिल ) है। रिवाज अनुसार ही पहली मंजिल पर दो कमरों को त्याबरी बरामदे में बदल दिया गया है

1 -भुवनेश जमलोकी के मकान के तल मंजिल में खोली )प्रवेश द्वार ) में काष्ठ कला व अलंकरण व खोली के आस पास काष्ठ कला व अलंकरण

2 - पहली मंजिल में स्थापित तिबारी में काष्ठ कला व अलंकरण

3 - पहली मंजिल की खड़की या मोरी व कमरे के दरवाजे पर काष्ठ कला व अलंकरण

- : तल मंजिल में खोली में काष्ठ कला व अलंकरण

खोली देळी /देहरी से शरू होती है पहली मंजिल में प्रवेश हेतु आंतरिक प्रवेश द्वार हेतु सीढ़ियां भी यहीं से शुरू होती हैं। देळी के दोनों तरफ एक एक स्तम्भ /सिंगाड़ है , प्रत्येक तरफ के स्तम्भ के तीन भाग हैं। स्तम्भ के अंदरि भाग में प्राकृतिक (बेल बूटे ) छवि आभास के ज्यामितिय कटान अलंकरण है। अंदर के स्तम्भ में आधार पर कमलाकृति अंकित हुआ है व बाद में ऊपर की और स्तम्भ के अंदरूनी भाग में भी ज्यामिति कटान का अंकन है जो बेल बूटे का आभास देता दीखता है । पहली मंजिलके छज्जे से स्तम्भ खोली के मेहराब।/तोरण /arch में (वास्तव में मुरिन्ड का निम्न भाग ) परिवर्तित हो जाते हैं। निम्न तल का मुरिन्ड या तोरण पूरा ट्यूडर नुमा है। तोरण /मुरिन्ड के तीनों तलों में भी प्राकृति क कला अलंकरण आभास हुआ है। मुरिन्ड के तोरण के दोनों और त्रिभिजकार काष्ठ पट्टिकाएं हैं व उन पर जाली नुमा या प्राकृतिक अलंकरण हुआ है ।

तोरण।/मुरिन्ड के ऊपरी भाग में एक भू समांतर दो पट्टिकाओं के बीच में दीवालगीर /ब्रैकेटों से निर्मित धार्मिक मंदिर नुमा आकृति है जिंसमें बीच में धार्मिक प्रतीक देव स्थापित है। दीवालगीर/ब्रैकेटों में कमल पुष्प व चिड़िया चोंच का मिश्रित अंकन हुआ है। मुरिन्ड के ऊपर त्रिभुज पट्टिका में दोनों ओर मत्स्य आकृति अंकित हुयी हैं याने दो मत्स्य आकृतियां अंकित है।

मुरिन्ड के बाह्य दीवालगीर ों में भी कमल पुष्प केशर नाल (पराग नली ) व चिड़िया चोंच उत्कीर्ण हुयी है जो खोली की सुंदरता वृद्धिकारक हैं। व कला को गतिशील भी बनाने में सक्षम हुए हैं। मुरिन्ड या खोली काष्ठ पट्टिका से ढकी है।

निष्कर्ष निकलता है कि खोली में तीनो प्रकार के कला - ज्यामितीय , प्राकृतिक , व मानवीय (मस्त्य आकृति , चिडिया चोंच व देव मूर्ति ) अलंकरण का का सुंदर मिश्रण हुआ है। तल मंजिल के अन्य कमरों के दरवाजों में कोई उल्लेखनीय अंकन नहीं है।

-: रवि ग्राम में पहली मंजिल में तिबारी पर काष्ठ कला अलंकरण -:

तिबारी भव्य है , भुवनेश जमलोकी की तिबारी चार स्तम्भों से बनी है जिनसे तिबारी में जिसमे तीन खोली /द्वार बन जाते हैं हैं। किनारे के स्तम्भ दीवाल से नक्कासीदार कड़ी से जुड़े हैं। स्तम्भों में कला व अलंकरण गढ़वाल की तिबारी शैली जैसे ही हैं यने आधार पर अधोगामी कमल दल ,फिर कलयुक्त डीला , फिर उर्घ्वगामी कमल दल फिर स्तम्भ की मोटाई कम होना , स्तम्भ के सबसे कम मोटाई वाले भाग से ऊपर की ओर थांत (bat blade type ) का शुरू होना। दूसरी ओर पट्टिका से मेहराब , arch या तोरण बनना , व तोरण के ऊपर छत आधार पट्टिकाओं के जोडू पट्टिकाओं में बिभिन आकृति अंकन।

भुवनेश जमलोकी की तिबारी के तोरण के दोनों ओर की प्रत्येक पट्टिका में जालीदार प्राकृतक आकृति , दो दो अष्टदलीय पुष्प , और दो दो मछलियां उत्कीर्ण हुयी है , दोनों मछलियां वास्तव में फूल की ओर जा रही है। इस तरह तिबारी में कुल बारह मछलियां व छह पुष्प उत्कीर्ण हुए हैं।

प्रत्येक स्तम्भ थांत में दो दो ब्रैकेट /दीवालगीर स्थापित हुए हैं जिनमें पुष्प , पशु आकृति ( बैल या भैंस का मुंह ), पक्षी (तोता ) अंकित या स्थापित हुए हैं।

मुरिन्ड के सबसे ऊपर भू समांतर पट्टिका में फूल पत्तियों की आकृतियां अंकित /उत्कीर्ण हुयी है।

:-रवि ग्राम में भुवनेश्वर जमलोकी के मकान में पहली मंजिल में खिड़की स्तम्भों में कला , अलंकरण -:

भुवनेश जमलोकी की तिबारी के पहली मंजिल की खिड़की के द्वारों में दो दो स्तम्भ नुमा आकृति हैं व प्रत्येक स्तम्भ कुछ कुछ तिबारी के मुख्य स्तम्भों का लघु व समान रूप लगते है। खिड़कियों की आकृतियां कुमाऊं के बखाईओं में बने मोरी के स्तम्भों से मिलते जुलते हैं।

:-रवि ग्राम में भुवनेश्वर जमलोकी के मकान में पहली मंजिल में कमरे के द्वार पर काष्ठ कला व अलंकरण -:

भुवनेश जमलोकी के इस मकान की एक अन्य विशेष्ता है कि दुसरे कमरे के द्वारों में स्तम्भों की उपस्थिति। द्वार के स्तम्भों में आधार पर कमल दल आकृति व ऊपरी सिरे पर प्राकृतक अलंकरण हुआ है। द्वार के ऊपर देव मूर्ति भी स्थापित है।

निष्कर्ष निकलता है कि रवि ग्राम में भुवनेश जमलोकी के मकान में तल मंजिल में खोली , एवं पहली मंजिल तिबारी , खिड़की व अन्य कमरे के दार पर प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय (पशु , पक्षी व देव आकृति ) सभी का समिश्रण है।

संरचन के दृष्टि से मकान में दृश्य कला के सभी सिद्धांतों का पूरा निर्बाह हुआ है जैसे - सभी भग्न का एकीकृत रूप में समाना , एकरसता से छुटकारा , सभी चरों प्रकार के संतुलन निर्बाह , गतिशीलता व लय प्राप्ति , एक ही जैसे आकृतियों में समानता , आकृतियों में अनुपात , व्यतिरेक से आनंद प्राप्ति आदि।

पासना सेमवाल पुरोहित ने सूचना दी है की मकान सौ साल पुराना है जो छोटी खिड़की के होने से भी साबित होता है कि मकान पुराना है।

सूचना व फोटो आभार : उपासना सेमवाल पुरोहित Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020