गौं गौं की लोककला

फल्दाकोट मल्ला (यमकेश्वर ) में चंदन सिंह पयाल के निमदारी में काष्ठ कला अलंकरण या नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : सी.पी. कंडवाल व बालम सिंह पयाल (पूर्व प्रधान फल्दाकोट )

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उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 117


फल्दाकोट मल्ला (यमकेश्वर ) में चंदन सिंह पयाल के निमदारी में काष्ठ कला अलंकरण या नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , काठ बुलन ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 117

संकलन - भीष्म कुकरेती -

फल्दाकोट मल्ला यमकेश्वर तहसील (पौड़ी गढ़वाल ) का एक नामी गाँव है। 90 % फल्दाकोट वासी ब्रिटिश काल से ही पुलिस विभाग में कार्यरत रहे हैं। आज भी रोजगार मामले में फल्दाकोट वासियों की पहली पसंद पुलिस महकमा है। कृषि में समृद्ध गाँव व पुलिस जैसे महकमे में नौकरीशुदा ग्रामीणों के कारण फल्दाकोट में तिबारी व निमदारियों की अच्छी खासी संख्या है।

प्रस्तुत ढैपुर, दुखंड /टीभीत्या चंदन सिंह पयाल की निमदारी में काष्ठ कला की चर्चा होगी। तिबारी या बरामदा पहली मंजिल में बाहर के तीन कमरों से बना है व काफी फैलाव वाला बरामदा है। मकान में कोई छज्जा नहीं है, सीढ़ियों से पहली मंजिल में जाया जाता है व निम दारी /डंड्यळ /बैठक सात संतभो /खम्बो से बनी है। स्तम्भ लकड़ी की कड़ी पर आधारित है व आधार से सीधे मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष पट्टिका से मिल जाते हैं। प्रत्येक स्तम्भ के आधार पर दोनों ओर छपट्टी /टिकाएं हैं जो स्तम्भ को मोटाई व सुंदरता प्रदान करते हैं। स्तम्भों के मध्य दो ढाई फिट तक रेलिंग है व लौह जाली है।

मुरिन्ड /म्थिन्ड से मिलने स ेपहले स्तम्भों में कटान से सुंदरता आयी है। निमदारी के किसी भी भाग में लकड़ी पर ज्यामितीय कटान /अलंकरण के अतिरिक्त कहीं भी प्राकृतिक (पर्ण -लता अलंकरण या बेल बूटे नक्कासी ) या मानवीय (पशु पक्षी देव) कला अलंकरण नहीं पायी गयी है।

आज इन निमदारियों का महत्व कम ही हो गया है किंतु सन 60 -70 तक तो निमदारी शानो शौकत , रौब , रुतबे की निशानियां थीं। अब रुतबा मैदानों की ओर चला गया है बस जीर्ण शीर्ण मकान ही याद दिला रहे हैं कि कभी चंदन सिंह पयाल की निम दारी फल्दाकोट की एक पहचान थी।

बड़ी खड़कियों से साफ़ पता चलता है कि मकान निर्माण पर ब्रिटिश प्रभाव है व 1947 के बाद ही निमदारी का निर्मणा हुआ है व स्थानीय शिल्पकारों ने ही निर्मणा किया होगा।

सूचना व फोटो आभार : सी.पी. कंडवाल व बालम सिंह पयाल (पूर्व प्रधान फल्दाकोट )

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं

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