गढ़वाली में 'ल' और 'ळ' ध्वनि
गढ़वाली की व्यंजन ध्वनियों में 'ळ' एक विशिष्ट ध्वनि है। 'ल' के स्थान पर इस उक्षिप्त परिवेष्टित 'ळ' का प्रयोग होता है। 'ळ' के उच्चारण से शब्द के अर्थ में निम्नवत् अंतर आ जाता है :-
काली (दुर्गा का एक रूप)
काळी (काले रंग की)
खल्यौण (खाली करना)
खळ्यौण (तालाब से पानी उलीचना)
खोल (खोलने के लिए कहना)
खोळ (बाह्य आवरण)
घोल (घोंसला)
घोळ (घोलो 'आज्ञार्थक')
चलकण (चमकना)
चळकण (डरना, चौंकना)
चाल (षडयंत्र/ आकाशीय बिजली)
चाळ (छानो 'आज्ञार्थक')
छाल (पेड़ की छाल)
छाळ (धो 'आज्ञार्थक')
तालु (तुतलाने वाला)
ताळु (ताला)
तौली (बड़ी पतीली)
तौळी (उतावली)
दिवाल (दीवार)
दिवाळ (दीपावली)
न्यौलि (एक गीत)
न्यौळि (नेवले की एक प्रजाति)
ढोल (एक वाद्य यंत्र)
ढोळ (डालो 'आज्ञार्थक')
पितलु (बीज रहित कच्ची फली)
पितळु (पीतल)
फूली (फूल गया)
फूळी (देगची)
बेलम (बिलंब)
बेळम (मन बहलाने का साधन)
बाल (बाल)
बाळ (जलाओ 'आज्ञार्थक')
बेल (बिल्व)
बेळ (बेला, समय)
भेल (छत्ता)
भेळ (पहाड़ की खड़ी ढलान)
मंगल (शुभ)
मंगळ (मंगलवार)
मेला (बीज)
मेळा (मेला)
मोल (कीमत)
मोळ (गोबर)
यकुला (अकेला)
यकुळा (एक बार, आधा दिन)
रौला (छोटा-सा नाला)
रौळा (कोलाहल)
लाल (एक रंग)
लाळ (लार)
लूलि (दिव्यांग स्त्री)
लूळि (दुर्बल, कमजोर)
हाल (हालात)
हाळ (आँच)
सलाण (दक्षिण-पूर्वी गढ़वाल)
सळाण (दरार)
साल (वर्ष)
साळ (गोशाला)
सिलौण (सिलाना)
सिळौण (जल में विसर्जित करना)
(साभार- हिंदी-गढ़वाली-अंग्रेजी शब्दकोश- रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल)