" एक दिन का फ्लैट ऐजेन्ट"

आजकल शहरों में बहुमंजिला इमारतों का दौर है । मध्यम वर्ग अपने आवास के लिए इनमें फ्लैट खरीद रहे हैं। अब तो सरकार भी योजना के तहत निम्न आय वर्ग के फ्लेैट बेच रही है ।

मैने भी रिटायरमेंट के बाद बच्चों की खातिर दिल्ली से सटे इलाके में एक फ्लैट लिया । मेरी सोसायटी के आस -पास भी हजारों फ्लैट बन रहे हैं अौर बिक रहे हैं। मैने सोचा जरा नौेएडा की तरफ घूमा जाये, क्या पता उधर अच्छे अौर सस्ते फ्लैट हों। फ्लेट खरीदने का तो ऐसा ही है जनाब जो जितने में जैसे भी ठगा जाये । मैं सुबह -शाम को नौएडा में बिल्डर सोसायटी के चक्कर लगाता था । रोज किसी न किसी सोसायटी के तीन बी०एच०के फ्लेैट की हर चीज को ठोक बजाकर देखता था कि इसकी कमीज मेरी कमीज से ज्यादा सफेद कैसे ? अौर जो भी लोग खरीदने आते उनको कमियां गिनाता ताकि जिन चीजों में मैं ठगा गया,ये वेचारे न फंसे।उत्तराखण्डियों का तो विशेष ध्यान रखता।

सहाब एक दिन एक बिल्डर के सेल्स मैनेजर ने मुझे कहा,"अंकल जी , आप खाली घूमते रहते हैं तो क्यों न आप हमारे यहां काम कर लें? सुबह 10बजे से शाम को 5बजे तक। दो घंटे दिन में लंच"। उसको मेरी बेकारी कि चिन्ता थोड़े थी।वो तो इसलिये कि मैं लोगों को उनके फ्लेट की कमियां बताता था। जिससे उनकी फ्लेट की बिक्री में कमी आ रही थी।

वो समझ चुके थे कि इस आदमी ने उनके कई

ग्राहक वापस भेज दिये थे। तो क्यों न इसको गुट में शमिल कर लो तो न रहेगा बांस न बजेगी वासुंरी।

तो मैने कहा, "पेमेन्ट क्या करोगे? काम क्या होगा""?

"देखो अंकल जी , पैसे देंगे हम आपको 30हजार रुपये नगद एंव जो फ्लेैट , आपका दिखाया हुआ बिका, उसके २०हजार पर फ्लैट कमीशन अलग से। हां, आप अपनी सोसायटी की चर्चा भी कस्टमर से नहीं करोगे। अगर मंजूर है तो कल से आ जाना " उसने सीधे कुछ गुस्से भरी नज़रों से मेरी अोर देखते हुए कहा ।

मैने मन ही मन में सोचा, यार मुझे नौकरी तो इसकी करनी नहीं। मना करता हूं तो कल से ये मुझे अन्दर भी नहीं आने देंगे, तो मेरा लोगो का भला करने का मकसद पूरा नहीं होगा। मुझे पता भी नहीँ लग पायेगा कि मैं खुद फ्लैट खरीदते वक्त कहां पर मार खा गया।

" हां , मुझे मंजूर है, पर सेलरी चालीस हजार रु० लूंगा बेशक कमीशन पंद्रह हजार कर दो" मैने भी अपना पत्ता फैंका ।

"ठीक है अंकल जी,सही सरकारी अफसर रहे होंगे आप,अपनी सेलरी बढवा दी,फ्लेट चाहे बिके न बिकें" वो खुश हो रहा था मंद -मंद कि क्लेश कटा। अरे "हां अंकल जी, पहले एक हफ्ते आप रामलाल के साथ फ्लेैट ऐजेन्ट की ट्रेनिंग लेंगे। तब सीखोगे कि कैसे गाहक पटाया जाता है? उसके बाद आप अकेले काम करोगे। नाम पता आपका सब ले लिया है मैने,आपकी सोसायटी के अोफिस से। नमस्ते! अंकल जी कल मिलेंगे। "अरे सुनो ,कल से अंकल जी स्टाफ़ हैं। इनको अन्दर आने देना" गार्ड को कहते हुए वह निकल गया।

मैं भी सोचते हुए घर की तरफ चला कि इनको तो मेरा सारा अता पता पहले से ही मालूम है ।

खैर! जनाब,हम दूसरे दिन ठीक सुबह दस बजे उनकी सोसायटी के सेल्स अोफिस में हाजिर हो गये । मेरे ट्रेनर रामलाल जी चाय पी रहे थे।

"अोह, आ गये अंकल जी। तो ये लीजिये खाली फ्लेैटस की लिस्ट अौर नक्शे के साथ रेट लिस्ट भी" कुछ मुंह बनाकर उसने फाइल मेरी तरफ फैंकी। शायद वह खुश नहीं था ।क्यों कि मेरे आने से टीम में एक आदमी जो बढ गया था तो उसके कमीशन में कमी आने का डर जो उसे था ।

मैं भी रामलाल जी की बगल की कुर्सी पर बैठ गया क्यों कि तब तक कैन्टीन का लड़का मेरे लिए भी चाय ले आया था।

चाय खत्म ही हुई थी कि एक अधेड़ उम्र के सज्जन अौर महिला ने अोफिस में प्रवेश किया।

आ गया मुर्गा ,समझ के तीनों सेल्समेन उनकी तरफ लपके लेकिन वो दोनो सीधे मेरी तरफ मुड़े। क्यों कि मैने सूट भी वही नया वाला पहना था जो रिटायरमेंट की पार्टी के लिए मेरी पत्नी ने स्पेशल मंहगा वाला लिया था। उन पुराने सेल्समेन से आयु से भी शायद मैं ज्तादा अनुभवी उस जोड़े को लगा। तो वो मेरे पास आये, अभिवादन किया ।

"जी ,बैठिेए । मैंने उन सज्जन की तरफ देखते हुए खड़े होकर कहा. आप क्या फ्लेैट देखने आए हैं?

"जी,बैठना उठना कुछ नहीं, कोई फ्लेैट खाली है थ्री बी० एच० के० का" महिला ने खड़े - खड़े ही मुझे आदेश दिया ।

आप बैठिेऐ तो मैडम। "सहाब , आपकी रेंज क्या है " मैरा मतलब,कितने तक का पचास लाख तक या उसके ऊपर" मैं ने उन सज्जन से पूछा। चाय तो पीजिेऐ।

"चाय नहीं ,काफी है तो मंगा लो" कहकर महिला सौफे पर बैठ गयी।

तब तक रामलाल जी ने काफी ,काजू वाले बिस्कुट व साथ में भुजिया नमकीन भी प्लेट में सजवा दी थी। भाइ, उसको तो अनुभव था न कि बकरे की बलि से पहले हरी घास खिलाई जाती है । हम ठहरे सीधी सच्ची बात करने वाले।

"अज्जी भाई सहाब , रेंज मत पूछो । मकान दिखाअो अच्छा सा। बताअो तो सही कौन से टावर में खाली हैं? अभी तो रिटायर हुए हैं ये। बहुत बडे़ अफसर थे।महिला ही बोले जा रही थी।

मैंने जैसे ही फाइल खोली कि देखूं कि कौन से मकान खाली हैं तभी फाइल तुरंत रामलाल जी ने खींच ली। सामने बैठकर मुझे आँख से चुप रहने का इशारा करने लगे।

"मैडम. अंकल नये हैं न हमारे आोफिस में। तो मैं आपको साइट पर ही मकान दिखाता हूँ " कहकर रामलाल जी उन्हें मकान दिखाने चले।

मैं भी उनके साथ हो लिया । ट्रेनिंग पर जो था।

"मैडम जी,ये जो आगे के टावर हैं न ये सब बिक चुके हैं। अब जो वाइ अौर जेड टावर हैं न लास्ट के बस उन्ही में कुछ फ्लेट बचे हैं। " रामलाल जी बताये जा रहे थे।

मैंने चलते - चलते लिस्ट देखी थी तो उसमें तो काफी मकान उपलब्ध थे।

"अरे मैडम. बहुत मकान खाली हैं। ये देखो लिस्ट "मैं बीच मे बोल पड़ा।

रामलाल जी ने लिस्ट छीन ली।कहने लगे "अंकल जी के पास तो पुरानी लिस्ट है। उसके बाद वाली लिस्ट अपडेट नहीँ हुई है "।

तो सहाब वाई टावर के नीचे हम लोग पंहुच गये। "इसमें पांचवी अौर नौंवी मंजिल पर ही फ्लेैट खाली हैं। आप लोग लिफ्ट से चलो, तो मैं चाबी लेके आता हूँ प्रोजेक्ट वालों से" रामलाल जी बके जा रहे थे।

रामलाल मुझे दूसरे टावर के कोने में ले गया। बोला," देखो अंकल जी। आप कभी भी कस्टमर को लिस्ट मत दिखाना। उसको ये दिखआो की फ्लेैट खाली ही नहीं है ताकि उसको विश्वास हो जाये कि हमारी सोसायटी में लोग फ्लैट काफी खरीदने को आ रहे रहे हैं । बहुत डिमाण्ड है । सबसे पहले वो फ्लेट दिखाअो, जो बिक न रहे हों ।

अभी भी दो हजार फ्लेट में से एक हजार खाली थे। बिल्डर यह दिखाते हैं कि जैसे बस आखिरिो दो मकान ही बचे हों।

इनके झांसे में एक बार कोई आया नहीं कि उसको बिना फ्लेट बेचे ये दलाला लोग छोड़गे नहीं । चाहे आपके बैंक में एक लाख ही हों पर आपको पिचासी लाख का मकान का रजिस्ट्रेशन करवा ही देंगे। क्यों कि आप पत्नी के साथ सूट-बूट पहन कर जो उसके सामने अकड़ कर खड़े होते हो। बड़पन्न में उसे वो सब बता देते हो जो बताना जरुरी भी न हो जैसे कि आपका बेटा विदेश में है। दामाद व बेटी भी अच्छा कमा रहे हैं। वो बातों बातों में आप से सब उगलवा देंगे।

खैर, अब हम भी पांचवी मंजिल पर फ्लैट न.502 के आगे खड़े थे। दम्पति पहले से ही वहाँ इन्तजार कर रहे थे।

"सौरी सर ,जरा देर हो गई। ये प्रोजेक्ट वाले कई लोगो को मकान दिखा रहे थे दूसरे टावर में। तो चाबी लाने में देर हो गई (जबकि चाबी उसके जेब में ही थी,बल्कि वो तो मेरी क्लास ले रहा था)" कहते हुये रामलाल दरवाजा खोलने लगा।

जैसे ही हम लोग अन्दर घुसे तो दीवार से सिमेंट काम चूरा गिरा ।

"अरे भाई, फ्लेैट की दीवारें तो बहुत कमजोर हैं। सीमेंट नाखून से ही नीचे आने लगी है" पति ने सवाल किया।

" अरे ठीक ही तो बोल रहे हैं। भाई साहब" मैने भी नाखून घुसेड़ कर दीवार से सिमेंट गिरायी।

रामलाल ने घूरते हुए मुझे हल्का सा धक्का देकर पीछे को सरकाया ," मैडम,आप देखिए । मैडम, अपने नाखून खराब थोडी करती। आप तो समझदार लग रही हैं। देखिए हम लोग आप लोगों की सुविधा को ध्यान में रख कर फ्लेैट बनाते हैं। "रामलाल मैडम को बताने लगा।

"देखिए ,हम हल्की सिमेंट इसीलिए लगाते हैं कि कल आप कमरे में घड़ी ,फोटो अौर सीनरी तस्वीर आदि लगायें तो आप को कील ठोकने में दिक्कत न हो। अब आप संबल से तो छेद नहीं करेंगी फोटो लटकाने के लिए मैडम" रामलाल के तर्क से मैडम खुश हो गईं।

" यस ही इज राइट" मैडम बोली।

देखिए मैडम ,मैं आपको पीछली साइड वाला बढिया फ्लेैट दिखा रहा हूँ।

"लेकिन इसमें तो धूप आऐगी ही नहीं।"

बेचारा पति फिर बोला ।

"बिल्कुल ठीक बोले सहाब" मैं अपने आप को रोक न पाया।

"अंकल आप, चुप नहीं रह सकते क्या?रामलाल ने फिर मुझे टोकते हुए बोला।

"मैडम, क्या है कि मैं आपको फ्रन्ट का फ्लेट दूं तो आप परेशान हो जायेंगे , धूप से बहुत परेशान हो जायेंगे । चौबिस घण्टे ए०सी०चलाना पड़ेगा। बिजली का खर्च अधिक बढेगा।" फिर सर्दी रहती कितनी है ? दो या तीन ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा चार महिने बस। " रामलाल बके जा रहा था, उनको बेवकूफ बनाने मे़।

"यस यू आर राइट "मैडम अपनी अकड़ दिखाये जा रही थी.

"लेकिन फ्लेैट में वेन्टिलेशन तो जरूरी चाहिए। जो इसमें नहीं है । कोर्नर का फ्लेट दिखायेगा तो ठीक रहेगा." साहब फिर बीच में बोले।

"जी क्या बात सर। वाह, ये पते का सवाल किया आपने" मैं फिर बोल पड़ा।

अंकल जी, आप चुप रहने क्या लोगे?आप अभी ट्रेनी हैं। तो चुपचाप ट्रेनी की तरह खड़े रहो। पहले सीखो कुछ । अब तो रामलाल एक अफसर की तरह मेरे साथ व्यवहार करने लगा था ।

"मैडम , कोर्नर का फ्लेट बिल्कुल भी नहीं लेना चाहिए। देखो, आप मुझे समझदार लग रही हैं तो मैं आपको दिल से सही बात बता रहा हूँ। मैं कभी भी अपने ग्राहक को धोखा नहीं देता.(जबकि दुनियां भर का झूठ बोल रहा था। धोखा दे रहा था)।

मैं चाहता हूँ,आपके दो पैंसे बचे । चाहे हमें फायदा हो न हो लेकिन ग्राहक संतुष्ट होना चाहिए ." रामलाल फिर मैडम को गोली दे रहा था।

"क्यों ?"इस बार तो मैडम ने भी सवाल कर ही दिया।

"देखिए, मैडम एक तो कार्नर फ्लेट के दो लाख एक्सटरा देने पड़ेगे आपको। चारों कोनो से बारिश का पानी अन्दर आयेगा। धूप अलग तंग करेगी। थ्री साईड अोपन होगा, तो चारों तरफ का लोगों , गाड़ियों का शौर आपको परेशान करेगा वो अलग। चारो तरफ के विम आपके फ्लैट का कवर्ड एरिया कम भी कर देता है। तो कभी भी कोर्नर फ्लेट नहीं खरीदना चाहिये" रामलाल कोर्नर फ्लैट ये न खरीद लें इसलिये नुकसान गिनाये जा रहा था।

"लेकिन खूबियां भी बहुत हैं , कोर्नर फ्लैट के" मैं फिर अपने आप को रोक नहीं पाया.

साला कल ही तो रावत जी को बता रहा था कि "फ्लेट लो तो हमेशा कोर्नर का। चारो तरफ से धूप,हवा का आनन्द, भरपूर रोशनी के साथ चार बालकोनी, पिलर के कारण मजबूती अलग।फायदे ही फायदे । कोर्नर होने से किसी से कोई दिक्कत नहीं। सीढी आपके दरवाजे के साथ ही। लेकिन आज बिल्कुल उल्टा बोले जा रहा था।

मैडम फिर बोली,"यस ही इज राइट"।

मैं सोचने लगा ," मुझे क्या जाने दो भाड़ में । जब मेरी सुन ही नहीं रही मैडम" ।

"चलो ठीक है। जब मैडम को पंसद आ ही गया तो कीमत की बात फाइनल करते हैं। पेमेंट का सिडयूल क्या है? साहब ने पूछा।

"अज्जी साहब । पेमेंट की चिन्ता मत करो आप। कम भी होंगे तो हम बैंक से फाइनेन्स करवा देंगें। आप बता रहे थे न की आपकी पेंशन पचास हजार है । लड़का भी नौकरी करता है तो आपके लिए क्या प्रोब्लबम।"रामलाल खुश होकर ठोक रहा था।

तभी मैडम ने कहा" जस्ट वेट। आइ हेव टू टाक विद माइ सन विफोर द फाइनल डील"।

मैडम फ़ोन पर बात करने लगी। बार-बार मैडम मेरी तरफ देख कर मुस्करा रही थी। क्यों कि वो सब अपने लड़के को फोन पर बता रही थी जो सलाह बीच -बीच में उन्हें मैं बता रहा था। रामलाल कान लगा कर सुन रहा था, बातचीत क्योंकि मैडम ने स्पीकर आन कर रखा था ताकि उनके पति भी बातचित सुन सके।

"यू अार राइट सर । थैंक्स आ लोट"मैडम ने मुझे कहा।

चलो कहीं आौर देखते हैं। मैडम पति के साथ सीढ़ियों से ही नीचे उतरने लगी ।

मुझसे पहले ही रामलाल जी सेल्स मैनेजर के पास पहुंच चुका था, मेरी तारीफ करने। आप समझ ही गये होंगे।

जैसे ही मैं मैनेजर के सामने पहुंचा।

"अंकल जी, ये फाइल मुझे दो। ये लो आज के 1300रूपये आपकी एक दिन की तनख्वाह । कल से आप नज़र भी नहीं आयेगें ,हमारे कांपलेक्स में।

"गार्ड कल से अंकल जी को अन्दर मत अाने देना" । "मैनेजर चिल्ला रहा था.

मेरा काम हो गया था‌ । मैने पैसे लिये । सामने की दुकान से काफी खाने पीने का सामान लेकर घर पहुंचा तो पत्नी बोली'" इतना सारा सामान क्यों ले आये?"

"मुझे पगार मिली है आज"मैंने कहा।

"एडवांस! पत्नी ने कहा।

"नहीं, पहली अौर आखिरी। मुझे निकाल दिया अाज ही।

चलो तुम समोसे का आनन्द लो। कल दूसरी नौकरी देखूंगा" मैंने कहा।

"कोई अपनी सत्यवादी हरिश्चंद्र वाली तान छेड़ दी होगी , तुमने जरूर"पत्नी बोली।

जब मैंने उन्हे पूरी दिनभर की कहानी सुनाई तो वो भी मेरी नौकरी जाने से खुश हुई ।

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